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लैंडफिल साइट के खिलाफ AAP ने NGT में दाखिल की याचिका

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में प्रस्तावित लैंडफिल साइट के विरोध में आम आदमी पार्टी का विरोध बढ़ता जा रहा है, उसकी तरफ से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की गई है, साथ ही और इसके कई नुकसान भी गिनाए.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

दिल्ली में लैंडफिल साइट को लेकर हो रही सियासत के बीच आम आदमी पार्टी (आप) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का रुख किया है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर और घोंडा इलाके में कूड़े के निस्तारण के लिए आवंटित जमीन के खिलाफ 'आप' पार्षद मनोज त्यागी, पार्षद कुलदीप कुमार, और घोंडा से विधायक श्रीदत्त शर्मा ने एक संयुक्त याचिका राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में दायर की है.

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आम आदमी पार्टी की तरफ से लैंडफिल साइट के विरोध में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में दाखिल याचिका की चार मांगे-

1, जो जिम्मेदार संस्थाएं है, जिसमें सीपीसी और ईस्ट एमसीडी हैं, इनको आदेशित किया जाए कि वहां किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय अवनयन (Environmental Damage) ना किया जाए. इस समय तीनों संस्थाओं पर बीजेपी की सत्ता है.

2, डीडीए को आदेशित किया जाए कि सोनिया विहार और घोंडा में जो कूड़े के निस्तारण के लिए जमीन का आवंटन किया गया है उसे रद्द करें और राष्ट्रिय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के कार्यालय में सूचित करें.

3, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) अपने विवेक अनुसार एक संस्था को निर्धारित करें, जो कि कूड़े के निस्तारण से उस क्षेत्र में पर्यावरण को होने वाले संभावित नुकसानों पर शोध करे और उसकी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपे.

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4, एनजीटी ऐसे आदेश पारित करे जो स्थानीय जनता और पर्यावरण के हित में हो.

लैंडफिल साइट के खिलाफ दाखिल याचिका के मुख्य आधार -

1, चूंकि ये रिहायशी इलाके हैं, तो इस तरह का कोई भी आवंटन स्थानीय जनता के हित के खिलाफ है.  

2, अगर वहां कूड़े का निस्तारण किया गया तो वहां रहने वाली जनता गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो सकती है, इसके साक्ष्य मौजूद हैं.

3, कूड़े के निस्तारण के लिए यहां जमीन का आवंटन किया जाता है तो राज्य के पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (EIA) की अधिसूचना का उल्लंघन होगा.

बढ़ेंगी कई बीमारियां

'आप' प्रवक्ता दिलीप पांडेय ने बताया कि गाजीपुर लैंडफिल साइट के आस-पास के इलाके का सर्वे करेंगे तो वहां पर त्वचा और फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढती जा रही है. कूड़े से जो विषैले पदार्थ निकलते हैं, उन्हें वहां की ज़मीन सोख लेती है और वो विषैले पदार्थ जमीन के पानी में मिल कर उसे प्रदूषित कर देते हैं, इस कारण वहां औसतन हर घर में कोई न कोई लकवे की बीमारी से पीड़ित है.

आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा कि अगर बीजेपी ने जल्द ही इस पर कोई कार्रवाई नहीं की तो सोमवार से आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतरेगी, और लैंडफिल साइट से प्रभावित होने वाली विधानसभाओं में 'कूड़े का पहाड़ हटाओ' नाम से एक हस्ताक्षर अभियान चलाएगी.

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