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चुनाव आयोग की ओर से आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश करने के बाद से दिल्ली में सियायी संग्राम छिड़ गया है. चुनाव आयोग के इस कदम से जहां एक ओर AAP तिलमिलाई हुई है, तो दूसरी ओर कांग्रेस और बीजेपी जैसी राजनीतिक पार्टियां खुश नजर आ रही हैं.
चुनाव आयोग द्वारा AAP के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजने के बाद विपक्षी दल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हावी हो गए हैं. कांग्रेस और बीजेपी ने केजरीवाल का इस्तीफा मांगा है.
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल नैतिक जनाधार खो दिया है. इसके अलावा दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस में आपात बैठकों का भी सिलसिला शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले को लेकर आगे की रणनीति बनाने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है, तो कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में फिर से चुनाव होने की संभावनाओं के मद्देनजर अपनी तैयारियों को लेकर बैठक कर रही है.
वहीं, शुक्रवार को ही AAP के छह विधायकों ने चुनाव आयोग के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. हालांकि उनको हाईकोर्ट से कोई फौरी राहत नहीं मिली. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने AAP विधायकों को कड़ी फटकार भी लगाई. इन विधायकों से अदालत ने कहा कि आप वक्त रहते चुनाव आयोग के पास नहीं गए और नोटिस का जवाब तक नहीं दिया और अब यहां आकर दलील दे रहे हैं.
हाईकोर्ट ने सवाल दागा कि आखिर आप चुनाव आयोग के संपर्क में क्यों नहीं रहे? कोर्ट ने कहा कि जब आप बुलाने पर भी नहीं गए, तो अब आयोग मामले पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दिया है. वहीं, AAP संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर पार्टी की उच्चस्तरीय बैठक चल रही है.
इसमें हिस्सा लेने के लिए AAP नेता राघव चड्ढा, विधायक कमांडो सुरेंद्र, अंबेडकर नगर से विधायक अजय दत्त पहुंच चुके हैं. साथ ही AAP विधायकों के केजरीवाल के घर पहुंचने का सिलसिला जारी है. इस बैठक में 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मसले पर चर्चा की जाएगी.
AAP नेता सौरभ भारद्वाज का चुनाव आयोग पर वार
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जिस लाभ के पद का आरोप लगाया जा रहा है, वैसा कुछ हुआ ही नहीं है. हमारे विधायकों ने सरकारी गाड़ी, सरकारी बंगला और तनख्वाह का फायदा नहीं लिया है. चुनाव आयोग ने इस मामले में हमारी बात नहीं सुनी है, किसी को भी विधायक को अपनी गवाही रखने का मौका नहीं दिया है.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति ने गुजरात में पीएम मोदी के अंडर में काम किया है. अब वे पीएम मोदी का कर्ज चुका रहे हैं. 23 जनवरी को उनका जन्मदिन है और सोमवार को रिटायर हो रहे हैं. इसलिए जाने से पहले सभी काम को निपटाना चाहते हैं. सौरभ ने कहा कि सोमवार के बाद ना ही मोदी जी और ना ही ब्रह्मा जी एके ज्योति को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रख सकते हैं.
साबित हुए हैं आरोप: प्रशांत पटेल
इस मामले में शिकायत करने वाले प्रशांत पटेल ने कहा कि यह पूरी तरह से साफ है, इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाएगी. उन्होंने कहा, "मैंने यह मामला 2015 में उठाया था, पूरे केस को देखने पर लगता है कि इन विधायकों की सदस्यता चली जाएगी. चुनाव आयोग अपना फैसला राष्ट्रपति के पास भेजेगा, जिस पर राष्ट्रपति अपनी मंजूरी देंगे."
उन्होंने आगे कहा, "आप विधायकों की सदस्यता बचने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि खुद दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने आयोग को दिए अपने हलफनामा में माना है कि विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधा दी गई. दिल्ली में 7 विधायक मंत्री हो सकते हैं, लेकिन इन्होंने 28 बना दिए."
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई और कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा. इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है.