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ACB मामले में SC ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब, HC का आदेश रद्द नहीं

एंटी करप्शन ब्यूरो की शक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने AAP सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. हालांकि इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के पिछले फैसले पर स्टे नहीं लगाया गया है.

Arvind Kejriwal Arvind Kejriwal
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2015,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

एंटी करप्शन ब्यूरो की शक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने AAP सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. हालांकि इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के पिछले फैसले पर स्टे नहीं लगाया गया है.

शीर्ष कोर्ट ने साफ किया है कि दिल्ली हाई कोर्ट की उस टिप्पणी पर रोक नहीं लगाई गई है जिसमें केंद्र की 21 मई को जारी की गई नोटिफिकेशन को 'संदिग्ध' बताया गया था. गौरतलब है कि कॉन्स्टेबल अनिल कुमार के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को केंद्र के अधीन आने वाले दिल्ली पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई का अधिकार है. हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक के मकसद से केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया.

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दिल्ली में उपराज्यपाल (एलजी) बनाम मुख्यमंत्री के बीच अधिकारों की लड़ाई में शुक्रवार का दिन अहम है. अभी एलजी को पूर्ण शक्तियां देने वाले गृह मंत्रालय के विवादित नोटिफिकेशन के खिलाफ केजरीवाल सरकार की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट में भी सुनवाई होनी है. केंद्र ने SC के सामने रखे 10 सवाल
यानी अब केजरीवाल और केंद्र के बीच जारी जंग में गेंद अदालत के पाले में है. एक छोर पर आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार हैं तो दूसरी तरफ उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र की मोदी सरकार. अपनी याचिका में केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट के सामने 10 सवाल रखे थे और अपने अधिकारों का हवाला दिया था.

 

केंद्र की याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट का फैसला एकपक्षीय आदेश है और इस बारे में भारत सरकार को अपनी बात रखने मौका नहीं मिला. केंद्र ने अपनी याचिका में पूछा है कि क्या दिल्ली की सरकार केंद्र के कानून को मानने के लिए बाध्य नहीं है?

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HC में दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई
उधर दूसरे घटनाक्रम में, नौकरशाहों की नियुक्ति को लेकर केजरीवाल सरकार की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि उपराज्यपाल को दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग का पूरा अधिकार है और वह 'चाहें तो' मुख्यमंत्री से सलाह ले सकते हैं. दिल्ली सरकार ने इस नोटिफिकेशन को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

उधर, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने गृह सचिव एल सी गोयल से गुरुवार को मुलाकात करके सारे विवाद की जानकारी दी. केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच कानूनी लड़ाई पर कांग्रेस ने केजरीवाल पर हमला बोला. अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल अपनी नाकामी छुपाने के लिए ये सब कुछ कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'सरकारें आपसी तालमेल से सरकार चलती है, नियम सबके लिए साफ है, हमने सरकार नहीं चलाई क्या?'

इससे पहले दिल्ली विधानसभा ने नोटिफिकेशन को 'तालिबानी' बताते हुए इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया. दिल्ली विधानसभा ने विधानसभा सत्र के पहले दिन AAP विधायक सोमनाथ भारती की ओर से पेश निजी प्रस्ताव पर तीन विधायकों की ओर से पेश किए गए चार संशोधनों को स्वीकार कर लिया. AAP विधायक सोमनाथ भारती ने बुधवार को एक निजी सदस्य प्रस्ताव पेश किया था और केंद्र की नोटिफिकेशन को अवैध और अमान्य बताया था. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यह सदन सरकार को सिफारिश करती है कि वह एनसीटी लोकसेवा आयोग के गठन के लिए कानून लाए.

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तालिबानी है यह नोटिफिकेशन: सिसोदिया
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि केंद्र भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली सरकार की जंग से डरी हुई है और इस तरह की नोटिफिकेशन संविधान का अपमान है. विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए सिसोदिया ने कहा कि केंद्र की अधिसूचना दिल्ली विधानसभा के अस्तित्व को खतरा है और मौजूदा स्थिति 125 साल पुराने ब्रिटिश शासन के दौरान की स्थिति से भी खराब है.

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