
रांची के ओरमांझी इलाके के आरा गांव को राज्य सरकार ने झारखण्ड का पहला नशामुक्त आदर्श गांव बताया है. आदिवासी बहुल इस गांव के लोगों ने नशा नहीं करने का संकल्प लिया है.
ग्रामीणों ने नशा छोड़ने के साथ-साथ यह संकल्प भी लिया है कि आने वाले एक साल के भीतर उस गांव में कोई बीपीएल नहीं रहेगा. इतना ही नहीं केंन्द्र सरकार के स्वच्छता मिशन के तहत भी गांववालों ने अपने गांव को गन्दगी से मुक्त रखने की बात कही.
संकल्प लेने के बाद ग्रामीणों ने आदिवासियों के पारम्परिक पेय हंडिया बनाने के सभी बर्तनो को इकठ्ठा कर उन्हें बेच दिया. दरअसल झारखण्ड के ग्रामीण इलाकों में हंडिया नशे का सबसे प्रमुख पेय है. जिसे चावल को सड़ा कर बनाया जाता है. हंडिया के सेवन की वजह से ग्रामीण आदिवासी अपनी खून पसीने की कमाई को गवां बैठते हैं.
आरा को नशा मुक्त गांव बनने की खबर पर सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास आरा गांव पहुंचे और ग्रामीणों को गांव के और विकास के लिए पुरस्कार स्वरुप एक लाख रूपए देने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आरा गांव की तर्ज पर राज्य के 1000 दूसरे गांवो को भी विकसित करने के साथ-साथ नशामुक्त बनाया जाएगा.
प्रधानमंत्री के मुताबिक, उनके मुताबिक आदर्श गांव के तहत आनेवाली पंचायतों को प्रतिमाह 20 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. योजना के मुताबिक क्रमबद्ध तरीके से गांवों को जोहार योजना से जोड़कर बीपीएल कार्ड मुक्त किया जाएगा.