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आत्मनिर्भर भारत: कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया आज से, PM मोदी करेंगे शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 41 कोल ब्लॉक्स की नीलामी की प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे. इन कोल ब्लॉक्स की नीलामी से देश में कोल ब्लॉक्स की कमर्शियल माइनिंग की शुरुआत होगी.

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1,37,825 करोड़ रुपये रह गई है डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 1,37,825 करोड़ रुपये रह गई है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:17 AM IST

  • करीब 33,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है
  • 70,000 लोगों को सीधे रोजगाार मिलने की उम्मीद

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत निजी क्षेत्र के लिए 41 कोल ब्लॉक्स की नीलामी की प्रक्रिया आज यानी गुरुवार से शुरू होने वाली है. इसकी शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे. प्रधानमंत्री नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये संबोधित करेंगे और खनन क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने के अपने दृष्टिकोण को रखेंगे.

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कार्यक्रम को फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी, वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी संबोधित करेंगे. आपको बता दें कि सरकार ने पिछले महीने राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर कॉमर्शियल माइनिंग के तौर-तरीकों को मंजूरी दी थी.

33 हजार करोड़ के निवेश का अनुमान

कोयला मंत्रालय के मुताबिक इन कोल ब्लॉक्स की कॉमर्शियल माइनिंग में अगले पांच से सात साल में करीब 33,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है. ये ब्लॉक राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व देंगे. मंत्रालय ने कहा कि कोयला खनन क्षेत्र में नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत की गयी घोषणाओं का हिस्सा है.

ये पढ़ें—PM मोदी बोले- आत्मनिर्भर भारत सबके मन में, लेकिन एक काश घूम रहा है

22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता

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आपको बता दें कि कोयला मंत्रालय उद्योग मंडल फिक्की के साथ मिलकर 41 कोल माइंस की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर रहा है. ये खदान 22.5 करोड़ टन उत्पादन की क्षमता रखते हैं. इसके आधार पर सरकार का कहना है कि ये खदान देश में 2025-26 तक अनुमानित कुल कोयला उत्पादन में करीब 15 प्रतिशत का योगदान देंगे.

2 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार

इससे सीधे एवं परोक्ष रूप से 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. इसमें सीधे तौर पर करीब 70,000 लोगों को रोजगाार मिलने की उम्मीद है. इस पहल का मकसद ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भरता हासिल करना और औद्योगिक विकास को गति देना है.

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