
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इकोनॉमिस्ट अभिजीत बनर्जी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल कठिन दौर से गुजर रहा है. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कई सुझाव दिए. बनर्जी की मानें तो बजट में मांग बढ़ाने पर सरकार का फोकस होना चाहिए, तभी इकोनॉमी में सुधार संभव है.
अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि बैंकिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को सरकार से ज्यादा फंडिंग की जरूरत है. असंगठित क्षेत्र को लेकर बनर्जी ने कहा कि यह क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है. इसलिए इस सेक्टर को फिर से पटरी पर लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत में महंगाई दर में बढ़ोतरी चिंता का विषय है.
मांग बढ़ेगी तभी अर्थव्यवस्था की सेहत सुधरेगी
इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत में अभिजीत बनर्जी कहा कि मौजूदा समय में निवेश, आयात और निर्यात खराब स्थिति में है. इसलिए रोजगार के अवसर कम हुए हैं. इसके अलावा डिमांड बढ़ाने के बारे में बनर्जी ने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्च किया जाए ताकि रोजगार बढ़े. उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में असल दिक्कत मांग से जुड़ी है. अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मांग पर खासकर ध्यान देना पड़ेगा.उन्होंने कहा कि डिमांड बढ़ाने के लिए सरकार को मिडिल क्लास की जेब में पैसा डालना होगा. जब आम आदमी के पास पैसा आएगा तो वो खर्च करेंगे. जिससे डिमांड में बढ़ोतरी होगी. टू-व्हीलर की बिक्री में कटौती यह संकेत देता है कि मिडिल क्साल के पास पैसे नहीं हैं.
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रियल एस्टेट पर हो फोकस
उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर के बारे में सरकार को बजट में सोचना चाहिए. क्योंकि घर तैयार है, लेकिन खरीदर नहीं हैं. क्योंकि मिडिल क्लास के पास पैसे नहीं हैं. जब मिडिल क्लास के पास पैसे होते हैं तो वो घर और कार खरीदने पर फोकस करते हैं. इसलिए मिडिल क्लास की आमदनी बढ़ने से इन दोनों सेक्टरों की सेहत सुधर सकती है.उन्होंने बताया बिहार-उत्तर प्रदेश से मजदूर दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रोजगार के लिए आते हैं, उन्हें सबसे ज्यादा रियल एस्टेट और गारमेंट सेक्टर में जॉब मिलता है. लेकिन जब ये दोनों सेक्टर में डिमांड नहीं है तो फिर उन्हें खाली हाथ अपने घर लौटना पड़ता है. ऐसे में सरकार को सीमेंट और स्टील सेक्टर पर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर मंदी से बाहर आए.
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अमेरिका ऐसे आर्थिक संकट से उबरा था
उन्होंने कहा कि जब 2008, 2009 और 2010 में अमेरिका आर्थिक संकट में था. तब उसने इससे उबरने के लिए लोगों के जेब में पैसा पहुंचाने का काम किया था. उसी तरह भारत को फिलहाल कुछ करने की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि आर्थिक आंकड़ों को लेकर अमेरिका के पास एक तरह से हर दिन का डेटा होता है. भारत को भी अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है.जब उनसे 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 2024 तक इस लक्ष्य को पाना कठिन लगता है, लेकिन असंभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेक्टर पर सरकार को फोकस करना चाहिए.