
बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका सुनिधि चौहान कुल मिलाकर 2000 से ज्यादा गाने गा चुकी हैं. हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली, असमी और गुजराती में भी गाने गाए हैं.
सुनिधि ने चार साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था. पहली बार उन्होंने दिल्ली के एक मंदिर में गाया. फिर वह प्रतियोगिताओं और स्थानीय समारोहों में गाने लगीं. एक लोकल टीवी एंकर ने सबसे पहले सुनिधि की प्रतिभा को पहचाना. नन्ही सुनिधि का संगीत निखारने के लिए उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. संगीताकार कल्याणजी एक म्यूजिकल ग्रुप चलाते थे, 'लिटल वंडर्स'. सुनिधि इसकी लीड सिंगर बन गईं.
फिर 1996 में टीवी शो 'मेरी आवाज सुनो' जीतकर वह लोगों की नजरों में चढ़ गईं. इस शो को दूरदर्शन पर टेलीकास्ट किया गया था. पुरस्कार के तौर पर उन्हें एक एलबम रिकॉर्ड करने का मौका मिला, 'ऐरा-गैरा नत्थू खैरा'. लेकिन इसे पर्याप्त लोकप्रियता नहीं मिली. सुनिधि के मुताबिक, इसकी वजह थी कि इसका बच्चों की एलबम की तरह प्रचार किया गया. 2002 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, 'मेरे पहले गाने और कंटेस्ट ने मेरी ज्यादा मदद नहीं की. लेकिन तब तक मैं तय कर चुकी थी कि मैं सिंगिंग में ही करियर बनाऊंगी.'
संगीतकार आदेश श्रीवास्तव ने बॉलीवुड में उन्हें पहला ब्रेक दिया. फिल्म 'शास्त्र' में सुनिधि का गाना आया, 'लड़की दीवानी देखो, लड़का दीवाना'. फिर 1999 में राम गोपाल वर्मा 'मस्त' फिल्म लेकर आए. इसमें सुनिधि को दो गाने मिले, जिनमें एक सोनू निगम के साथ था. 'रुकी रुकी सी जिंदगी' और 'मस्त' ने उन्हें वह जरूरी लोकप्रियता दी, जिसकी तलाश उन्हें थी.
16 साल की उम्र में सुनिधि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित गायक बन गईं. इसके बाद वह एक सफल गाने देती चली गईं. 19 की उम्र तक वह 350 से ज्यादा गाने गा चुकी थीं. बाद में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मैं आज जो भी हूं, मस्त गाने की वजह से हूं.'
सुनिधि को 14 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है. तीन बार वह अवॉर्ड लेने में कामयाब रही हैं. उन्होंने दो स्टार स्क्रीन, दो आइफा और एक जी सिने अवॉर्ड भी जीता है.