
वैसे तो चुनावों में कुछ उम्मीदवारों पर पानी की तरह पैसे बहाने के आरोप लगते हैं. लेकिन एडीआर की इस रिपोर्ट ने सबको हैरान कर दिया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने 4120 मौजूदा विधायकों में से 4087 विधायकों के चुनावी खर्च और वोट शेयर के विश्लेषण के आधार पर रिपोर्ट जारी की है.
दरअसल चुनाव प्रचार पर खर्च के मामले में केरल देश में सबसे आगे है, यहां के उम्मीदवारों ने तय सीमा का औसतन 70% से ज्यादा पैसा खर्च किया है. करीब 59% खर्च के साथ गुजरात दूसरे नंबर पर है. चुनाव आयोग ने 2014 में उम्मीदवारों का चुनावी खर्च दोबारा तय किया था. इसमें छोटे और बड़े राज्यों के हिसाब से हर उम्मीदवार के प्रचार पर खर्च की चार कैटेगरी यानी 8 लाख रुपये, 16 लाख रुपये, 20 लाख रुपये और 28 लाख रुपये बनाई गई थी.
स्थान राज्य तय सीमा का कितने% खर्च
1. केरल 70.14% (19.64 लाख रुपये)
2. गुजरात 58.75% (16.45 लाख रुपये)
3. उत्तराखंड 57.82% (16.19 लाख रुपये)
4. पंजाब 54.82% (15.35 लाख रुपये)
5. हिमाचल 54.50% (15.26 लाख रुपये)
6. महाराष्ट्र 54.14% (15.18 लाख रुपये)
7. असम 52.81% (14.77 लाख रुपये)
8. बिहार 50.68% (14.19 लाख रुपये)
9. प.बंगाल 47.86% (13.40 लाख रुपये)
10. तमिलनाडु 47.71% (13.36 लाख रुपये)
11. दिल्ली 46.46% (13.01 लाख रुपये)
12. उत्तर प्रदेश 46.25% (12.95 लाख रुपये)
13. आंध्र प्रदेश 45.86% (12.84 लाख रुपये)
14. तेलंगाना 45.11% (12.63 लाख रुपये)
15. झारखंड 43.64% (12.22 लाख रुपये)
16. ओडिशा 43.11% (12.07 लाख रुपये)
17. हरियाणा 42.86% (12.00 लाख रुपये)
18. जम्मू-कश्मीर 41.54% (11.63 लाख रुपये)
19. गोवा- 40%
20. मणिपुर- 39.65%
इस बीच 2013 से 2018 के बीच जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, वहां के उम्मीवारों ने सबसे ज्यादा खर्च चुनाव प्रचार में लगे वाहनों पर किया. हालांकि उम्मीदवारों ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए प्रचार पर सिर्फ 5% खर्च किया.
किसी दल या गठबंधन को 55% से अधिक वोट शेयर नहीं
एडीआर रिपोर्ट की मानें तो (2013-18) इन पांच सालों में सरकार बनाने वाले किसी भी दल या गठबंधन को 55 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले. अरुणाचल प्रदेश में सर्वाधिक 53.1 फीसदी जबकि झारखंड में सरकार बनाने वाले दल का वोट शेयर सबसे कम 31.2 फीसदी रहा. इसके अलावा गुजरात, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने वाले दल या गठबंधन का ही 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर रहा.
दागी में बिहार के विधायक आगे
रिपोर्ट के अनुसार इन पांच सालों में जीते 1,356 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे, जिनमें से 128 विधायकों पर रिश्वतखोरी, चुनाव के दौरान अवैध भुगतान और गलत तरीके से प्रभावित करने के आरोप थे, इनमें बिहार के सर्वाधिक 38 विधायक दागी पाए गए जबकि कर्नाटक के 20 और उत्तर प्रदेश के 18 विधायक दागी निकले.