
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को कहा कि इंट्रा-अफगान बातचीत शुरू करने के लिए काबुल 5000 तालिबान कैदियों को रिहा करने का वादा नहीं कर सकता. राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस बयान के बाद अमेरिका-तालिबान के बीच लंबे समय से शांति समझौते के प्रयासों पर पानी फिर सकता है.
जाहिर है शनिवार को ही कतर में अमेरिका और तालिबान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसे 10 मार्च को होने वाली बातचीत की शुरुआत मानी जा रही है. हालांकि इस बातचीत के लिए 5000 कैदियों को रिहा करने की बात कही गई थी. इसके बदले में अमेरिका ने अगले 14 महीनों में अपनी सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ने की बात कही थी. दोनों देशों ने इस बारे में संयुक्त बयान जारी किया था.
कैदियों की रिहाई कोई शर्त नहीं
हालांकि रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी भी कैदी की रिहाई उनकी सरकार द्वारा लिये जाने वाला एक निर्णय है और वह बातचीत शुरू होने से पहले कैदियों को रिहा करने के लिए तैयार नहीं थे. गनी ने कहा, 'कैदियों की रिहाई के लिए अमेरिका ने अनुरोध किया था और यह वार्ता का हिस्सा हो सकता है लेकिन यह पहले की शर्त नहीं हो सकती है.'
उन्होंने कहा, 'हमने 5000 कैदियों की रिहाई को लेकर कोई वादा नहीं किया है. कैदियों की रिहाई का फैसला अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं. इस बारे में कोई भी फैसला करने का हक अफगानिस्तान का है.'
इस बीच विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के साथ अमेरिका की यात्रा कर रहे अमेरिकी अधिकारियों ने गनी के बयानों का जिक्र किये बगैर कहा कि समझौते में ‘‘5000 तक’’ कैदियों को रिहा करने की शर्त है.
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बता दें अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को कतर के दोहा में समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इसमें तय हुआ है कि अगले 14 महीनों में विदेशी सेनाएं अफगानिस्तान छोड़ देंगी. इसकी शर्त यह भी है कि तालिबान अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देंगे और अफगानिस्तान में व्यापक व स्थायी शांति के लिए अफगान सरकार के साथ वार्ता में शामिल होंगे.
समझौते में गड़बड़ी होने पर अमेरिका ने चेताया
अमेरिका के राष्ट्रपति ने शनिवार को अफगान तालिबान के साथ हुए समझौते पर संतोष जताते हुए यह चेतावनी भी दी कि अगर समझौते को लागू करने में किसी तरह की गड़बड़ी की गई, तो फिर 'अमेरिका, अफगानिस्तान में इतनी बड़ी फौज भेजेगा जितनी बड़ी कभी किसी ने देखी नहीं होगी.'
व्हाइट हाउस में अपने एक संबोधन में ट्रंप ने अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि वह 'बहुत जल्द तालिबान के नेताओं से मुलाकात करेंगे. अमेरिकी फौज को भी वापस बुलाना शुरू कर देंगे.'
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इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समझौते में कोई भी गड़बड़ की गई तो फिर 'हम इतनी बड़ी फौज वापस अफगानिस्तान लेकर जाएंगे जो किसी ने कभी नहीं देखी होगी.' लेकिन, उन्होंने उम्मीद जताई कि इसकी नौबत नहीं आएगी.