
नोटबंदी के बाद सरकार ज्यादा से ज्यादा कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे रही है. लोगों को ई-वॉलेट, पेटीएम, डेबिट/क्रेडिट कार्ड से लेनदेन करने को कहा जा रहा है. लेकिन दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में अभी तक कैशलेस पेमेंट नहीं हो पाया है. नोटबंदी के 37 दिन बाद एम्स और राम मनोहर लोहिया अस्पताल अब कैशलेस होने की तैयारी में जुटे हैं.
कैशलेस व्यवस्था का जायजा लेने के लिए 'आजतक' की टीम राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंची. नई दिल्ली के बीचों-बीच मौजूद राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कैश के कुल 5 काउंटर हैं. इसमें 23 नंबर का काउंटर वो, जहां सबसे ज्यादा कैश पेमेंट ली जाती है. एक दिन में डेढ़ से 2 लाख तक कैश इकट्ठा होता है, लेकिन हैरानी की बात ये रही कि इस काउंटर में स्वाइप मशीन या ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा मौजूद नहीं है.
नेट बैंकिंग से पेमेंट ले रहे अस्पताल
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के अकाउंट ऑफिसर परमिंदर ने 'आजतक' को बताया कि भारत सरकार के नियम आने के बाद हमने बैंक को लिखा और अब तमाम कैश काउंटर पर 7 स्वाइप मशीन लगाई जा रही हैं. उसके अलावा हमने नेट बैंकिंग से पेमेंट लेनी शुरू कर दी है. मोबाइल पर M-Clip एप्लिकेशन डाउनलोड की है. इससे कोई भी मरीज सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है. अबतक बैंक में कैश जमा होता था, लेकिन अब सब कुछ कैशलेस हो रहा है.
कई काउंटर पर स्वाइप मशीन नहीं
प्रशासन के इस दावे के बाद हम राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाले कैश काउंटर पहुंचे. यहां कैशियर विनोद ने बताया कि ऑनलाइन बैंकिंग के लिए कार्ड लेकर कई लोग आते हैं. 400 के आसपास मरीज दिनभर में आते हैं. बहुत से लोगों के पास कैश नहीं होता और वो कार्ड इस्तेमाल करने को कहते हैं. विनोद ने बताया कि 2 नंबर काउंटर पर स्वाइप मशीन लग चुका है, लेकिन यहां लगना बाकी है. इस पड़ताल के बाद हमारी टीम राम मनोहर लोहिया अस्पताल के काउंटर नंबर 2 पर पहुंची, जहां अस्पताल प्रशासन ने स्वाइप मशीन लगाने का दावा किया था. इस काउंटर में स्वाइप मशीन रखी हुई थी. कैशियर ने बताया कि 250 से 1000 रुपये तक की पेमेंट इस काउंटर पर होती है. ऑनलाइन बैंकिंग के 20 से 25 मरीज अब यहां आ जाते हैं और स्वाइप मशीन का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है.
मरीजों ने कहा-100 फीसदी हो ऑनलाइन बैंकिंग
हालांकि, मरीजों का मानना है कि अस्पताल अब भी ऑनलाइन बैंकिंग के लिए तैयार नहीं हो पाए हैं. आजतक की टीम ने राम मनोहर लाल अस्पताल पहुंचे मरीजों के परिजन से बातचीत की. द्वारका से आए तुलीचंद ने बताया, 'ऑनलाइन बैंकिंग 100 फीसदी होना चाहिए, क्योंकि मरीज बहुत परेशान हैं. मुझे 1000 रुपये की दवाई लेनी थी, लेकिन स्वाइप मशीन नहीं थी, तो वापस जाना पड़ा. फिर किसी ने कैश देकर मदद की तब दवाई खरीदी. अस्पताल में तो सबसे पहले ऑनलाइन बैंकिंग का इंतजाम होना चाहिए.
अस्पताल स्टाफ को प्लास्टिक मनी की जानकारी नहीं
किशोर वसुधंरा से अपने रिश्तेदार का इलाज कराने पहले एम्स गए थे और अब राम मनोहर लोहिया आए हैं. दोनों ही जगह ऑनलाइन बैंकिंग न होने से परेशान हैं. अस्पतालों में प्लास्टिक मनी की मशीन ही नहीं है और इनके स्टाफ को भी इसके बारे में जानकारी नहीं है. पहले इनको समझाने में 10 मिनट लग जाते हैं फिर इनके नेट नहीं चलता है या सर्वर डाउन हो जाता है. बिना कैश के काम करना मुश्किल है. सभी के लिए प्लास्टिक मनी इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं, लेकिन दुख की बात ये है कि सरकार अभी तक कोई इंतजाम नहीं कर पाई है.
ज़ाहिर है राम मनोहर लोहिया अस्पताल केंद्र सरकार के अधीन है. यही वजह रही कि प्रशासन यहां कैशलेस बैंकिंग के लिए गंभीर नज़र आया. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टर अपने तमाम स्टाफ को ऑनलाइन बैंकिंग और कैशलेस मनी की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. प्रशासन का दावा है कि अस्पताल के अंदर बैंक ऑफ़ बड़ौदा की ब्रांच होने की वजह से ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा को मजबूती से मुहैया कराया जा रहा है.