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अमेरिका दौरे के बाद बदले-बदले राहुल, कांग्रेस में आई नई जान

कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से देश में भी अमेरिका की तर्ज पर संवाद कार्यक्रम करके कठिन सवालों के जवाब के साथ उतरने की गुजारिश की है.

राहुल गांधी राहुल गांधी
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:37 AM IST

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा का असर अब पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़े नेताओं पर भी दिखने लगा है. कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता राहुल की इस यात्रा को पार्टी के लिए फायदेमंद मान रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से देश में भी अमेरिका की तर्ज पर संवाद कार्यक्रम करके कठिन सवालों के जवाब के साथ उतरने की गुजारिश की है.

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कांग्रेसियों के मुताबिक, अमेरिका में छात्रों और बुद्धिजीवी लोगों के साथ बातचीत का राहुल का कार्यक्रम जबरदस्त रहा और उससे राहुल की छवि भी बेहतर हुई है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि आने वाले वक्त में राहुल के इस संवाद कार्यक्रम को इस तरह प्रचारित किया जाएगा कि राहुल जनता के सीधे सवालों का सामना करने को तैयार हैं.

कांग्रेस 2019 से पहले राहुल की छवि एक गंभीर राजनेता की बनाना चाहती है, जो सवालों का सामना करने से नहीं डरते. राहुल ने अमेरिका के प्रिंसटन और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में छात्रों के सवालों का सामना जिस तरह किया, उससे पार्टी को उम्मीद जगी है कि वह अब देश के पत्रकारों और जनता के सवालों का जवाब बखूबी दे सकते हैं.

अमेरिका में बुद्धजीवियों से मिलने के बाद राहुल के साथ गए पार्टी नेताओं को जो प्रतिक्रिया मिली वो बकौल कांग्रेस उत्साहित करने वाली है. अब वोट तो

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देश की जनता ही देगी लिहाजा जनता की अदालत में जाने को राहुल तैयार हैं.

इस मुद्दे पर यूपी के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजबब्बर ने आजतक से कहा, "राहुल पहले भी संवाद करते थे, आगे भी करेंगे. विदेश में अंग्रेजी में बोले, कठिन सवालों के जवाब मीडिया ने हिंदी में अनुवाद करके प्रसारित किए. अब आगे कठिन सवाल होंगे तो देश में हिंदी में ही उसका जवाब देंगे."

सूत्रों के मुताबिक राहुल ने भी इरादा जता दिया है कि वह न सिर्फ मीडिया का सामना करने को तैयार हैं बल्कि समाज के हर तबके के साथ अलग-अलग संवाद भी कर सकते हैं.

इसके बाद कांग्रेसी रणनीतिकार सक्रिय हो गए हैं. रणनीति के मुताबिक अब राहुल अमेरिका की तर्ज पर देश में छात्रों, युवाओं और प्रोफेशनल लोगों से संवाद बेबाकी से करेंगे. किसानों की पंचायत लगाएंगे, मीडिया से बात करेंगे और आम आदमी तक पहुंच बनाने की कोशिश करेंगे. राहुल गांधी के संवाद का मकसद यह भी है कि उसके बाद प्रधानमंत्री पर सवालों का जवाब देने का दबाव बनेगा.

राहुल तो विपक्ष में हैं लिहाजा उनका काम आसान होगा लेकिन बीजेपी और मोदी ने जितनी उम्मीदें जगाई थीं, उसका जवाब देना उनके लिए मुश्किल होगा.

पिछले 2 महीने में राहुल गांधी को ट्विटर पर 10 लाख नए लोगों ने फॉलो किया है. कुल मिलाकर आने वाले वक्त में राहुल पीएम मोदी के सामने चुनौती पेश करने की पूरी तैयारी में है और इस रणनीति के जरिए वह पीएम मोदी को मजबूर करना चाहते हैं कि, वह सिर्फ बेहतर भाषण देते हैं, सवालों के जवाब नहीं देते और ना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं.

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