बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद में पार्टी के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी पार्टी के इकलौते ऐेसे नेता हैं जो उत्तर प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में रैली कर रहे हैं. 20 फरवरी को सिद्दीकी फतेहपुर जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रचार अभियान में जुटे थे. इस दौरान उन्होंने विशेष संवाददाता आशीष मिश्र से बसपा की संभावनाओं पर विस्तार से बातचीत कीः
सवाल: चुनाव में बसपा की क्या संभावनाएं देखते हैं?
जवाब: हम लोगों ने पूरा ''ऑब्र्जवेशन" किया है, जिसके मुताबिक बसपा 300 से कम सीटें नहीं जीतेगी. हम जाति नहीं, सर्वसमाज की बात करते हुए यह चुनाव लड़ रहे हैं. हमारी सरकार में जो विकास हुए हैं उसका चौथाई भी दूसरी सरकारों में नहीं हुए हैं. जनता यह समझ रही है.
सवाल: बसपा ने बड़ी तादाद में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. इससे हिंदू जातियों में ध्रुवीकरण की संभावना तो नहीं है?
जवाब: हमारे समाज में सांप्रदायिक लोग कम हैं और सेकुलर लोग ज्यादा हैं. सपा और भाजपा की कोशिश है कि ध्रुवीकरण हो जाए लेकिन सेकुलर लोग इस चक्कर में नहीं पड़ते हैं. इस बार सपा को मुस्लिम वोट पहले जितना नहीं मिल रहा है.
सवाल: आपको ऐसा क्यों लग रहा है कि सपा को मुस्लिम वोट नहीं मिल रहा?
जवाब: सपा सरकार में 500 छोटे बड़े दंगे करा दिए. काफी लोग मौत के घाट उतार दिए गए. यही नहीं जिस कांग्रेस ने मुसलमानों को मिट्टी में मिलाने की कोई कसर नहीं छोड़ी उससे गठबंधन कर लिया. इससे मुसलमानों में सपा को लेकर नाराजगी है.
सवाल: सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद से मुसलमान वोटों को लेकर बसपा काफी सतर्क हुई है.
जवाब: अगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने काम किया है तो कांग्रेस से गठबंधन की जरूरत क्यों पड़ी? वर्ष 2012 में तो इन्होंने गठबंधन नहीं किया था. मैं पूरी कहावत तो नहीं कहूंगा लेकिन राम मिलाई जोड़ी..." जैसा है यह गठबंधन.
सवाल: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने बयानों में मायावती के प्रति काफी सम्मान प्रकट कर रहे हैं. कहीं यह चुनाव बाद की दोस्ती का संकेत तो नहीं?
जवाब: राहुल गांधी के दिल में क्या है? यह तो वे ही जानते हैं. बहन जी और बसपा के सभी नेताओं ने कांग्रेस से किसी भी प्रकार के गठबंधन की संभावना से इनकार किया है.
सवाल: बसपा की सरकार में बनवाए गए स्मारक इस चुनाव में भी मुद्दा बने हैं. अखिलेश यादव ''पत्थर वाली सरकार" कहकर तंज कस रहे हैं.
जवाब: महापुरुषों के जो स्मारक हमें बनवाने थे, बनवा दिए हैं. इन स्मारकों से प्रदेश का राजस्व ही बढ़ा है. अगर दलित स्मारकों का विरोध है तो अखिलेश यादव को ताज महल, आगरे के किले और आमेर के किले का भी विरोध करना चाहिए क्योंकि ये भी पत्थर के ही बने हैं. पत्थर लगवाने में तो अखिलेश यादव भी माहिर हैं. मेट्रो चली नहीं, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे बना नहीं लेकिन पत्थर लग गया.
सवाल: आपकी सरकार के दौरान सामने आए भ्रष्टाचार के मामले इस चुनाव में भी तूल पकड़ रहे हैं.
जवाब: विपक्षियों के पास बसपा के विरोध में कोई मुद्दा नहीं है, तभी निराधार आरोप लगा रहे हैं. भाजपा सरकार में ही व्यापम घोटाला हुआ है. ताबूत घोटाला, तेलगी कांड तो भाजपा सरकार में ही हुआ है. घोटालों की मास्टर तो भाजपा और सपा की सरकारें रही हैं.
सवाल: बसपा ने भी तो जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की पार्टी को शामिल किया है.
जवाब: जेल में जाने से कोई अपराधी नहीं हो जाता है. भाजपा के जितने नेता है उनमें से 90 फीसदी जेल में रहे हैं. मुलायम सिंह यादव भी तो जेल गए हैं. जेल जाने से ही कोई अपराधी नहीं हो जाता जब तक अदालत दोषी ने ठहरा दे. राजा भैया भी तो जेल गए हैं. अखिलेश यादव ने इन्हें मंत्री बनाया. क्या मजबूरी थी?
सवाल: सभी पार्टियां युवा नेतृत्व को आगे कर रही हैं लेकिन आपकी पार्टी में ये हाशिये पर हैं, ऐसा क्यों?
जवाब: यूपी में बसपा सरकार बनने के बाद 11,08,013 युवाओं को बैकलॉग के तहत नौकरी देकर और 5 लाख नई भर्तियां कर बेरोजगारी दूर करने का काम किया गया. दूसरी सरकारों ने क्या किया? सपा सरकार ने पुलिस भर्ती की लेकिन केवल चार जिलों के लिए. बसपा सरकार बनने के बाद इसकी जांच कराकर दोषियों को सजा दी जाएगी.
सवाल: यूपी में बसपा की सरकार बनाने के बाद क्या मायावती लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी?
जवाब: नोट कर लीजिए. बहन जी (मायावती) के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात भाग जाएंगे. अपने तजुर्बे से मैं यह बात कह रहा हूं.