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राजधानी और आसपास के इलाकों में डेंगू का कहर कम होने से पहले ही अब स्वाइन फ्लू का भी खतरा मंडराने लगा है. विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम में बदलाव आते ही स्वाइन फ्लू के वायरस भी सक्रिय हो जाएंगे. यानी लौटते मानसून में बारिश की रिमझिम फुहारें राहत नहीं आफत लाने वाली है. लिहाजा सरकार और आम लोगों के लिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी हो गया है.
डेंगू के मुकाबले के लिए देर से जागी सरकारों के लिए अब स्वाइन फ्लू की चुनौती भी मुंह खोले खड़ी है. लौटते मानसून की फुहारों के साथ जैसे ही तापमान घटेगा और नमी बढ़ेगी स्वाइन फ्लू के खतरनाक वायरस पनपने लगेंगे. ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है. पहले से परेशान जनता को डेंगू के डंक के साथ ही स्वाइन फ्लू का भी खतरा सताएगा.
आमतौर पर सितंबर अक्तूबर में मानसूनी हवाओं के हिमालय के क्षेत्रों से टकराकर वापस लौटने का होता है. लौटता मानसून भी फुहारें लुटाता हुआ जाता है. तब ऊमस भरी गर्मी से राहत मिलती है और धीरे धीरे सर्दी आने लगती है. अभी फिर हवा का कम दबाव का क्षेत्र बनने से बारिश की स्थितियां बन रही हैं. मौसम विभाग की भी मानें तो अगले एक हफ्ते तक दिल्ली एनसीआर में फुहारें पड़ेंगी. इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश गुजरात जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में मध्यम से औसत बारिश होगी.
ये बारिश की फुहारें गर्मी से भले थोड़ी राहत दे दे लेकिन बीमारियों को तो दावत ही देगी. ऐसे में प्रशासन के साथ ही आम जनता को भी सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है.