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ओलंपिक 2016 में किया निराश पर नए महासंघ से बंधी बॉक्सिंग की आस

चार साल तक प्रशासनिक अव्यवस्था में लटके रहने और ओलंपिक के निराशाजनक अभियान के बाद भारतीय बॉक्सिंग को साल 2016 में नए महासंघ के रूप में उम्मीद की नई किरण दिखी जबकि इस दौरान पेशेवर बॉक्सिंग ने भी भारत में अपने पांव पसारे.

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अभिजीत श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST

चार साल तक प्रशासनिक अव्यवस्था में लटके रहने और ओलंपिक के निराशाजनक अभियान के बाद भारतीय बॉक्सिंग को साल 2016 में नए महासंघ के रूप में उम्मीद की नई किरण दिखी जबकि इस दौरान पेशेवर बॉक्सिंग ने भी भारत में अपने पांव पसारे.

2016 में पेशेवर बने विजेंदर सिंह
बॉक्सिंग में साल 2016 का सबसे सकारात्मक पहलू चार साल तक चली रस्साकसी के बाद नए राष्ट्रीय महासंघ का गठन रहा. प्रशासकों के बीच आपसी खींचतान का असर मुक्केबाजों पर भी पड़ा और रियो ओलंपिक में लचर प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण भी इसे ही माना गया. इस दौरान भारत में पेशेवर बॉक्सिंग ने भी पांव पसारे और इस दौरान विजेंदर सिंह ने दिल्ली में अपने प्रशंसकों के सामने डब्ल्यूबीओ एशिया पैसेफिक सुपर मिडिलवेट के खिताब का सफलतापूर्वक बचाव भी किया.

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रियो ओलंपिक में मिली निराशा
भारत में हालांकि पेशेवर बॉक्सिंग को लोकप्रियता हासिल करने में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि यहां लोग अब भी क्रिकेट और ओलंपिक पदकों के दीवाने हैं. जब ओलंपिक पदकों की बात आती है तो भारतीय मुक्केबाजों ने निराश किया. रियो ओलंपिक में केवल तीन भारतीय पुरुष मुक्केबाज शिव थापा, मनोज कुमार और विकास कृष्ण ही जगह बना पाए जबकि इससे पहले 2012 के लंदन खेलों के लिए सात पुरुष और एक महिला मुक्केबाज ने क्वालीफाई किया था. भारतीयों को कड़ा ड्रॉ मिला और उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में नहीं खेलने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा. तीनों भारतीय पदक जीतने में नाकाम रहे. इससे पहले भारत के लिए 2008 में विजेंदर और 2012 में एमसी मेरीकोम ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीते थे.

भारतीय बॉक्सिंग महासंघ का गठन
अगस्त में रियो की नाकामी का ही असर था कि कई बार टाले जाने के बाद आखिर में सितंबर में चुनाव कराए गए और नए महासंघ- भारतीय बॉक्सिंग महासंघ (बीएफआई)- का गठन हुआ. इसके अधिकतर पदाधिकारियों को सर्वसम्मति से चुना गया. नए महासंघ ने एक महीने के अंदर ही पुरुष और महिला दोनों वर्गों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन कराया.

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मैरीकॉम को मिला लीजेंड अवार्ड
रिंग के अंदर की बात की जाए तो शिव थापा चीन में एशियाई क्षेत्र के ओलंपिक क्वालीफाईंग टूर्नामेंट के जरिए रियो खेलों में जगह बनाने वाले पहले मुक्केबाज बने थे. एल देवेंद्रो सिंह (52 किलोग्राम) और मैरीकॉम (51 किलोग्राम) दोनों ने इस साल अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके. मैरीकॉम के लिए राहत की बात यह रही कि उन्हें पांच विश्व चैंपियनशिप जीतने के लिए साल के आखिर में अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ (आईबा) का लीजेंड अवार्ड मिला. उन्होंने इसके बाद ही आगे से 48 किलोवर्ग में हिस्सा लेने का फैसला किया क्योंकि यह कयास लगाए जा रहे हैं उनका यह पसंदीदा भार वर्ग 2020 टोक्यो ओलंपिक में शामिल किया जा सकता है.

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