![प्रतीकात्मक [GettyImages]](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/201912/girl_child_1575373509_749x421.jpeg?size=1200:675)
नई दिल्लीः हैदराबाद में लेडी डॉक्टर के साथ गैंग रेप और हत्या की जघन्य वारदात को लेकर पूरे देश में गुस्सा है. तेलंगाना के साथ ही राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. यह मुद्दा संसद के चालू शीतकालीन सत्र में भी उठ चुका है. हेमामालिनी और जया बच्चन जैसी महिला सांसदों की बेहद कड़ी टिप्पणियों के बीच कड़े कानूनों की मांग उठ रही है.
लोगों के गुस्से का आलम यह है कि सोशल मीडिया पर लोग अपने-अपने ढंग से इस मसले पर अपनी बात रख रहे हैं. दंतेवाड़ा में नक्सल विरोधी अभियान में जुटे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने अपनी बात काव्यमय अंदाज में रखी. उन्होंने लिखा-
तुमने उसमें मौक़ा देखा,
अपनी हवस मिटाया.
तुमने उसमें माँस ही देखा,
नोच-नोच के खाया.
तुमने सोचा वो जली है,
आह! तुमने देश जलाया.
* * * *
धिक्कार है तुमपे कुत्सित-कायर-नीच,
तुमने उसका दुपट्टा खींच,
पूरे देश को खींच लिया,
मध्य युग के,
फिर से बीच.
* * * *
वो रावण ही था जिसने,
लंका में भी,
नारी को हाथ ना लगाया था!
तुम उसको जलाते हो,
ऐसी हिम्मत!
वो रावण यदि ज़िंदा होता,
यक़ीन मानो,
उसने तुम्हें जलाया था!
सूरज सिंह परिहार ने नोट में लिखा है कि मेरी कविता में प्रयुक्त शब्द 'मध्य-युग' किसी विशेष राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में ना होकर महज़ एक पिछड़ी सामंती सोच को दर्शाता है, कृपया अपनी सुविधानुसार जामा पहनाकर अर्थ का अनर्थ ना करें.
इसी तरह कुछ साल पहले 5 साल की गुड़िया के साथ हुए दुष्कर्म से व्यथित होकर कवि-पत्रकार आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखी रचना एक बार फिर सोशल मीडिया पर छायी हुई है. हैदराबाद की प्रियंका के साथ हुए वहशीपन के बाद यह गीत एक बार फिर सोशल मीडिया पर देखा-सुना जा रहा है. आलोक के लिखे इस मार्मिक-गीत को 'आजतक' के लिए संगीतकार आदेश श्रीवास्तव ने तैयार किया था और स्वर दिया था, नन्हीं गायिका अपर्णा पंडित ने. आलोक श्रीवास्तव का गीत यों है.
नज़र आता है डर ही डर,