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जानें, छठ के तीसरे दिन क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य...

लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार समेत पूरे भारत में मनाया जा रहा है. आज छठ के तीसरे दिन डूबते सूरज को अर्घ्य देकर सूर्य षष्ठी की पूजा की जाती है...

सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का होगा समापन सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का होगा समापन
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार समेत पूरे भारत में मनाया जा रहा है. आज शाम में नदी-तालाब के किनारे डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, उसके बाद अगले दिन यानी सोमवार सुबह उगते सूर्य देवता को जल दिया जाएगा. इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

लगातार 36 घंटे निर्जला का व्रत है छठ
खरना के दिन से ही छठ व्रत का उपवास शुरू हो जाता है. दिनभर व्रती निर्जला उपवास के बाद शाम को मिट्टी के बने नए चूल्हे पर आम की लकड़ी की आंच से गाय के दूध में गुड़ डालकर खीर और रोटी बनाते हैं. उसके बाद इसे भगवान सूर्य को केले और फल के साथ भोग लगाकर फिर प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं. पहले इस प्रसाद को व्रतधारी ग्रहण करती हैं. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद अब व्रती लगातार 36 घंटे तक निर्जला उपवास के बाद सोमवार को उगते हुए सूर्य को जल अर्पण करने बाद जल-अन्न ग्रहण करेंगी.

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घाटों पर दिया जाएगा अर्घ्य
देश भर में छठ के मौके पर जगह-जगह गूंज रहे गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. वहीं छठ घाटों को भी संजाने के काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है, बिहार के पटना में लाखों की संख्या में लोग गंगा किनारे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचेंगे. पटना के तमाम घाटों को भव्य तरीके के सजाया गया है. साथ ही दिल्ली में ITO के पास यमुना के तट पर भी भारी संख्या में भक्त अर्घ्य देने पहुंचेंगे, यहां भी तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. इसके अलावा पूरे बिहार-झारखंड में नदी, नहर और तालाब के किनारे अर्घ्य देने के लिए घाट बनाए गए हैं.

जानें, छठ पूजा से जुड़ी ये खास बातें...

छठ मैया की महिमा
गौरतलब है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है. नहाय खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो जाती है. चार दिन तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. इसके महत्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती. इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है.

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