
कभी कभी इंसान गुस्से में ऐसा कदम उठा लेता है कि उसकी पूरी जिंदगी ही बदल जाती है. ऐसा ही कुछ हुआ था उस 18 साल के नौजवान के साथ. जिसने गुस्से में आकर अपनी जिंदगी का पहला जुर्म किया. और जुर्म भी इतना संगीन कि उसे सजा-ए-मौत मिल सकती थी. दरअसल, उसने एक इंसान का कत्ल किया था. मरने वाला भी कोई आम आदमी नहीं बल्कि एक नामी बदमाश था. इस घटना ने एक मामूली से वेटर को बना दिया था मुंबई का डॉन. उस डॉन का नाम था सदानंद नाथू शेट्टी उर्फ साधु शेट्टी.
कौन था साधु शेट्टी
सदानंद नाथू शेट्टी का जन्म 1952 में कर्नाटक के उडुपी जिले में कापू के पास पन्यूर बेलापू गांव में हुआ था. सदानंद वहीं गांव में पला बढ़ा. 18 साल की उम्र में 1970 में वह रोजगार की तलाश में मुंबई चला आया. कई जगह काम तलाश किया लेकिन निराशा हाथ लगी. लेकिन कुछ दिन बाद उसे चेंबूर के एक होटल में एक वेटर का काम मिल गया. वो वहीं काम करता था और वहीं रहता भी था. तब तक उसने सोचा भी नहीं था कि कुछ दिन बाद उसकी जिंदगी में एक बड़ा तूफान आने वाला है.
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जुर्म की दुनिया में पहला कदम
एक दिन चेंबूर का एक नामी बदमाश और शिवसेना का नेता विष्णु दोगले चव्हाण जबरन वसूली के मकसद से उसी होटल पर आया, जहां सदानंद नाथू शेट्टी काम करता था. विष्णु दोगले ने होटल के मालिक के साथ हद दर्जे की बदतमीजी की. सदानंद ये सब देखता रहा. इसी दौरान विष्णु ने होटल के मालिक की पिटाई शुरू कर दी. यह देखकर सदानंद अपना आपा खो बैठा. उसका खून गर्म हो गया. और उसने एक लोहे की छड़ से विष्णु के सिर पर जानलेवा हमला किया. हमला इतना जोरदार था कि विष्णु लहुलूहान होकर वहीं गिर पड़ा और कुछ देर में ही उसकी मौत हो गई. इस हत्या के बाद अचानक सदानंद का नाम सुर्खियों में आ गया. यह उसकी जिंदगी का पहला जुर्म था.
सदानंद पर पड़ी वरदराजन की नज़र
विष्णु दोगले की हत्या कर सुर्खियों में आया सदानंद तमिल अंडरवर्ल्ड डॉन वरदराजन मुदलियार की नजर में आ गया. उसे शेट्टी के की शक्ल में जुर्म का एक नया खिलाड़ी दिखाई दे रहा था. जेल से बाहर आते ही मुदलियार ने शेट्टी को अपने गैंग में शामिल कर लिया. अब वो वरदराजन के लिए काम कर रहा था. उसने काम के जरिए गैंग में अपनी अलग पहचान बना ली थी. वो लगातार तमिल डॉन के करीब आता जा रहा था. इसी के साथ उसके गुनाहों की किताब भी भरने लगी थी.
सदानंद पर पहला हमला
विष्णु दोगले चव्हाण भले ही मर चुका था लेकिन उसके गिरोह के लोग शेट्टी से बदला लेने की योजना बना रहे थे. और एक दिन विष्णु गैंग के तीन सदस्यों ने शेट्टी को अपना निशाना बना लिया. उस पर जानलेवा हमला किया गया. हमलावर उसे मरा समझकर भाग निकले. लेकिन इस हमले में सदानंद शेट्टी बच गया. वह बुरी तरह से जख्मी हो गया था. उस इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. चार माह बाग वह अस्पताल से बाहर आया. और उसके बाद उसने अपने सभी तीन हमलावरों को चुन चुन कर मार डाला.
सदानंद बन चुका था साधु भाई
तमिल अंडरवर्ल्ड डॉन वरदराजन मुदलियार का मन मुंबई से भर चुका था. उसने वापस मद्रास जाने का फैसला कर लिया. मुदलियार के वापस चले जाने के बाद उसकी गैंग की कमान सदानंद शेट्टी के हाथ में आ गई. अब सदानंद साधु शेट्टी बन चुका था. अंडरवर्ल्ज और पुलिस के लोग उसे साधु शेट्टी के नाम से बुलाने लगे थे. गैंग लोग उसे साधु भाई कहा करते थे. इसी दौरान शेट्टी बड़ा राजन और छोटा राजन के संपर्क में आ गया. वह राजन के साथ अवैध शराब के कारोबार में भागीदार बन गया. 1982 में शेट्टी पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगा दी गई.
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छोटा शकील के करीब आ गया था साधु
21 सितंबर 1983 को बड़ा राजन की हत्या के बाद उसके गैंग की कमान छोटा राजन के हाथ आ गई थी. शेट्टी और वो दोनों साथ मिलकर काम कर रहे थे. दोनों काफी करीब आ चुके थे. राजन के साथ मिल जाने से शेट्टी का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ रहा रहा था. इसी दौरान 1981 में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई शब्बीर इब्राहिम की हत्या कर दी गई. इस हत्या के पीछे मुंबई के सबसे ताकतवर डॉन कहे जाने वाले करीम लाला का हाथ था. उसी के शार्प शूटर अमीरजादा नवाब खान ने शब्बीर की हत्या की थी. दाऊद ने करीम लाला को ठिकाने लगाने का काम शेट्टी के गैंग को सौंप दिया. हालांकि यह काम शेट्टी गैंग कभी पूरा नहीं कर पाया लेकिन इस काम की वजह से साधु शेट्टी दाऊद के खास आदमी छोटा शकील के करीब आ गया था.
कई हत्याओं का दिया अंजाम
1985 में शेट्टी, छोटा राजन और संजय ने मिलकर बड़ा राजन की हत्या करने वाले गैंगस्टर अब्दुल कुंजु को एक मैच दौरान मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद शेट्टी के मुंह खून लग चुका था. उसने गैंगस्टर सफालिका और बारकया नालावाडे की हत्या को अंजाम दिया. इसके बाद जाने माने शेट्टी ने छोटा राजन के कहने पर गैंगस्टर किम बहादुर थापा को अपना निशाना बनाया.
दक्षिण कन्नड़ में बस गया था शेट्टी
अपने गुरू की तरह साधु शेट्टी भी 1992 में मुंबई छोड़ कर दक्षिण कन्नड़ चला गया. वह खामोशी के साथ वहां रहने लगा था. लेकिन फलक मंगलौर में एक शादी समारोह में खाना खाने को लेकर एक मामूली झगड़ा हुआ. जिसमें साधु शेट्टी ने एक डकैत नागराज शेट्टी उर्फ मणि नागू के पैर में गोली मार दी. इस घटना से वह वहां की पुलिस की नजरों में आ गया. इस गोलीबारी का नतीजा यह हुआ कि साधु शेट्टी को टाडा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और उसे पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी. जेल में रहते हुए भी उसे पर कई हत्याओं की साजिश में शामिल होने के आरोप लगे.
मौत सामने देखकर डर गया था साधु
1993 में शेट्टी और उसके साथी ललित सिंह ठाकुर, विक्की और अशोक राजपूत का नाम अशोख घाटकोपर की हत्या में आया था. कर्नाटक चले जाने के बाद मैंगलोर में कांग्रेस नेता एंथोनी की हत्या में भी शेट्टी का नाम सामने आया. 1996 में शेट्टी और उसके दो साथियों पर मुंबई सेशन कोर्ट में जानलेवा हमला हुआ. प्रतिद्वंद्वी गैंगस्टरों के इस हमले में शेट्टी बाल बाल बचा. हमलावरों ने इस हमले में कलाश्निकोव राइफल का इस्तेमाल किया था. इस हमले से शेट्टी इतना डर गया था कि उसने पुलिसवालों से मदद मांगी. और उसके चारों ओर एक सुरक्षात्मक घेरा बनाकर उसे पास के ओवल मैदान तक ले जाने के लिए कहा. पुलिसकर्मियों ने उसकी मदद की और उसे बचाया.
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राजनीति में आजमाई किस्मत
दक्षिण कर्नाटक में अंडरवर्ल्ड कैरियर के दौरान शेट्टी ने राजनीति में किस्मत आजमाने की योजना बनाई. उसने जेल में रहते हुए कोप विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गया था. रिहाई के बाद उसने तुलुनाडा सेना नाम से एक राजनीतिक दल का गठन किया था. उसने अपने गांव में ही एक मजबूत सुरक्षित किले का निर्माण किया था जहां से वह मुंबई के कारोबार (जबरन वसूली) को संचालित करता था.
मुठभेड़ में मारा गया था शेट्टी
कारवार के विधायक वसंत की हत्या के प्रमुख आरोपी दिलीप नाइक की गिरफ्तारी के बाद वर्ष 2000 में शेट्टी मुंबई से भाग गया था. आरोप है कि नाइक ने साधु शेट्टी को विधायक की हत्या की सुपारी दी थी. तभी से मुंबई पुलिस बड़ी शिद्दत के साथ उसे तलाश रही थी. क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ इंसपेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर को शेट्टी के खात्मे की जिम्मेदारी दी गई थी. और मई 2002 में एक मुठभेड़ के दौरान साधु शेट्टी मारा गया. साधु के मारे जाने के बाद छोटा राजन गैंग ने एक होटल व्यवसायी दिनेश शेट्टी समेत कई लोगों को मार डाला था. और इस तरह से मुंबई से कर्नाटक तक आतंक फैलाने वाले साधु शेट्टी के जीवन का अंत हुआ. बताया जाता है कि उसने प्रेमा नामक एक महिला से विवाह भी किया था.
परवेज़ सागर