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शिखा शर्मा के बाद अब ये बैंकर हो सकते हैं RBI के निशाने पर

रिजर्व बैंक ने खराब प्रदर्शन और बढ़ते एनपीए के चलते एक्सिस बैंक की एमडी एवं सीईओ शिखा शर्मा के लिए सख्त रुख दिखाया है. अभी कई और ऐसे बैंकर आरबीआई के निशाने पर हैं जिनके बैंक का प्रदर्शन हाल के वर्षों में काफी खराब रहा है.

श‍िखा शर्मा और चंदा कोचर श‍िखा शर्मा और चंदा कोचर
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

रिजर्व बैंक ने खराब प्रदर्शन और बढ़ते एनपीए के चलते एक्सिस बैंक की एमडी एवं सीईओ शिखा शर्मा के लिए सख्त रुख दिखाया है. हालांकि, बैंक ने उन्हें सम्मानजनक विदाई देने की कोशिश करते हुए उनके कार्यकाल को 3 साल से घटा कर सिर्फ 7 महीने करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. अभी कई और ऐसे बैंकर आरबीआई के निशाने पर हैं जिनके बैंक का प्रदर्शन हाल के वर्षों में काफी खराब रहा है.

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देश के इस तीसरे सबसे बड़े निजी बैंक की वित्तीय दशा काफी खराब है . इसके अलावा नोटबंदी के दौरान बैंक के कुछ अधिकारी अवैध तरीके से पुराने नोट की जगह नए नोट देते पकड़े गए थे, इससे भी रिजर्व बैंक नाराज था. इससे यह धारणा मजबूत हुई है कि रिजर्व बैंक आगे कई और बैंकरों के खिलाफ सख्ती दिखाएगा.

असल में खराब एनपीए के रेकॉर्ड को देखें तो एक्सिस बैंक का स्थान इस मामले में सातवां है. छह अन्य निजी बैंकों की हालत इससे भी खराब है. इनमें जेके बैंक (एनपीए का हिस्सा 10.08 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (07.82 फीसदी), धनलक्ष्मी बैंक (6.96 फीसदी), करूर वैश्य बैंक (5.94 फीसदी), लक्ष्मी विलास बैंक (5.66 फीसदी) और आईडीएफसी बैंक (5.62 फीसदी) शामिल हैं.

कार्रवाई की आशंका में सबसे प्रमुख नाम आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर का है, जिनका कार्यकाल 1 अप्रैल, 2019 को रीन्यू होना है. मार्च तिमाही में बैंक का सकल एनपीए 7.87 फीसदी पहुंच गया. इसके अलावा चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर पर वीडियोकॉन ग्रुप को करीब 3,800 करोड़ रुपये के लोन देने के एक मामले में हितों के टकराव की जांच चल रही है.

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जेके बैंक के सीईओ परवेज अहमद को साल 2016 में ही तरक्की देकर सीईओ बनाया गया है. इनके अलावा आरबीआई की हिट लिस्ट में आईडीएफसी बैंक के सीईओ राजीव लाल, धनलक्ष्मी बैंक के सीईओ जी श्रीराम और लक्ष्मी विलास बैंक के सीईओ पार्थसारथी मुखर्जी भी शामिल हो सकते हैं.

कुल मिलाकर कहें तो रिजर्व बैंक अब एनपीए के मामले में बैंकों पर शिकंजा कस रहा है और उसने सर्वोच्च अधि‍कारियों को कड़ा संदेश दिया है कि या तो प्रदर्शन करें या बाहर जाएं.

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