
मजहब की राजनीति ने भारत को न जाने कितने जख्म दिए हैं. फिर भी हर बार चुनावों के समय यह उन्माद इतना तेज कैसे हो जाता है. इस पर चर्चा हुई एजेंडा आज तक के सेशन 'वोट अपना मजहब पराया' में. सेशन में मेहमान थे जमीयत उलेमा-ए-हिंद मौलाना महमूद मदनी, बीजेपी के शाहनवाज हुसैन, विश्व हिंदू परिषद के प्रवीण तोगड़िया, वरिष्ठ नेता और एडवोकेट आरिफ मोहम्मद खान और कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी.
क्या मजहब इस देश में बस एक सियासी हथियार है. इस सवाल पर मदनी ने कहा कि हां लोग मजहब का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इससे सत्ता में आना और मुद्दा उठाना दोनों कुछ आसान हो जाता है. लेकिन प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि देश के सभी राजनीतिक दल मुगलों की तरह हिंदुओं के खिलाफ काम कर रहे हैं. सबको मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है और इसके फेर में देश की एकता-अखंडता और बहुसंख्यक हिंदू खतरे में है.
'कोई नहीं अल्पसंख्यक, कोई नहीं बहुसंख्यक'
इस मसले पर आरिफ मो. खान बोले कि भारत में ये सवाल करना कि क्या मजहब राजनीति का हथियार है, नादानी भरा सवाल है. इस देश का बंटवारा हुआ क्योंकि मजहब को राजनीति का हथियार बनाया गया.
माइनॉरिटी और मेजॉरिटी की बहस को नया मोड़ देते हुए वह बोले कि ऐसा इस देश में है ही नहीं. संविधान ने सबको बराबर हक दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी बोल चुका है कि माइनॉरिटी कौन है, इसकी कोई तय परिभाषा और स्थायी मानदंड नहीं.
उन्होंने कहा कि स्थायी तौर पर किसी को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक मान लेना गलत है. विशेष अधिकार अगर किसी को दिए जाते हैं, तो उत्थान के लिए दिए जाते हैं, ताकि वह समाज में पिछड़े न रह जाएं मगर मौजूदा हालात में ये सिर्फ भेदभाव पैदा करते हैं.उन्होंने एक शेर पढ़ा कि जो लोग भुला देते हैं अपनी कौम की तारीख, उस देश के लोगों का भूगोल नहीं रहता.
मुजफ्फरनगर में देखिए क्या है मेजॉरिटी-माइनॉरिटी
सच्चर कमेटी के सवाल पर कांग्रेस के राशिद अल्वी बोले कि ये आदर्श स्थिति होती कि माइनॉरिटी और मेजॉरिटी का फर्क नहीं होता. मगर हकीकत में ऐसा नहीं है. आप आज जाकर मुजफ्फरनगर में देख लीजिए.
अल्वी बोले पाकिस्तान हमसे एक दिन पहले आजाद हुआ. उन्होंने कहा कि हमारे स्टेट का मजहब इस्लामिक है, सेकुलर नहीं. 25 साल बाद बांग्लादेश ने भी खुद को इस्लामिक स्टेट कहा. उधर हिंदुस्तान में पंडित नेहरू ने कहा कि यह देश हिंदू राष्ट्र नहीं सेकुलर बनेगा.आज देख लीजिए, तीनों देश कहां हैं.
बीजेपी का मुसलमानों के प्रति रुख क्या है. इस सवाल पर शाहनवाज हुसैन बोले कि बीजेपी के बारे में लोगों की राय हमारी वजह से नहीं बनी है. वह बोले-मुसलमान तो 1947 में ही फैसला कर चुके हैं कि हमें पाकिस्तान नहीं चाहिए. हम हिंदुस्तान में रहेंगे. तो जो हिंदुस्तान में हैं, उन पर सवाल कौन उठा सकता है. सेकुलरिज्म पर बुनियादी सवाल उठाते हुए शाहनवाज बोले कि ये बांटता है समाज को. उन्होंने कहा कि बीजेपी का बेवजह डर दिखाया जाता है मुसलमानों को.
बहस में हिस्सा लेते हुए मौलाना मदनी ने एक शेर पढ़ा कि हम इसी वतन की खाक हैं, हम यहीं मिलाए जाएंगे, न बुलाए किसी के आए थे, न निकाले किसी के जाएंगे. अल्वी बोले कि इस देश के राजनीतिक दल नहीं, देश सेकुलर है, इसलिए नेताओं को ये बात करनी पड़ती है.
तोगड़िया बोले इस्लामिक स्टेट बनने की कगार पर है भारत
अपने एजेंडे को सामने रखते हुए प्रवीण तोगड़िया बोले कि मुसलमान ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं. ज्यादा बच्चा पैदा करेंगे तो गरीब होंगे. उनके सरकारी खर्चे हिंदुओं के टैक्स से उठेंगे. ये रास्ता इस्लामिक स्टेट खड़ा करने का है.देश का हिंदू खतरे में है.
तोगड़िया के व्यू को काउंटर करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में 1975 में छपे गुरु गोलवलकर के लेख का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि जो लोग समान नागरिक संहिता की बात करते हैं, वह भारत की जरूरत समझते ही नहीं हैं.
बच्चों की दर पर आरिफ बोले कि ये मसला शिक्षा में कमी का है, धर्म का नहीं.और इसके शिकार दोनों ही धर्म हैं. आरिफ बोले कि बांटने के लिए सिर्फ मजहब का नहीं, भाषा और क्षेत्र का भी इस्तेमाल किया गया. क्या उन्हें भी अलग कर दिया गया. उन्होंने कहा कि दिक्कत सांप्रदायिकता से है.आरिफ बोले कि भारत सबसे पहला देश था, जिसने नागरिकता को धर्म से नहीं भूभाग से जोड़ा. उन्होंने कहा कि सीता का अपरहण करने वालों की नस्ल खत्म नहीं हुई. उसी तरह से अलगाववाद की बात करने वाले जिन्ना की नस्ल खत्म नहीं हुई.