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जस्टिस लोया की मौत पर पहली बार बोले अमित शाह- 'जिसे शक हो, तथ्य देख ले'

सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई की विशेष अदालत के जज बृजमोहन हरकिशन लोया की मौत पर उठ रहे संदेह भरे सवालों को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुप्पी तोड़ी है.

अमित शाह अमित शाह
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:07 AM IST

सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई की विशेष अदालत के जज बृजमोहन हरकिशन लोया की मौत पर उठ रहे संदेह भरे सवालों को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुप्पी तोड़ी है. एजेंडा आजतक 2017 के मंच पर अमित शाह ने इस मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि कारवां मैग्जीन ने जस्टिस लोया की मौत को लेकर खबर छापी है तो दूसरी ओर एक अंग्रेजी अखबार ने भी खबर छापी है. जिसको भी संदेह है वो तथ्य देख ले.

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क्या ये उनके खिलाफ कोई राजनीतिक षड़यंत्र है? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि मैं ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं क्यों पचड़े में पड़ूं? जिसको भी संदेह है वो नागपुर जाकर देख ले.

अमित शाह से पहले इसी कार्यक्रम में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से भी सवाल पूछा गया कि जस्टिस पटेल को इस्तीफा देना पड़ता है कानून मंत्री खामोश रहते हैं. जस्टिस लोया को लेकर सवाल उठ रहे हैं पर कानून मंत्री खामोश रहते हैं.

इसपर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जस्टिस लोया को अस्पताल दो-दो जज लेकर गए. उन्हें भर्ती कराया. उनके परिवार के लोगों ने लिखकर दिया बांबे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कि हमें कोई दिक्कत नहीं है. उनको हार्ट अटैक हुआ दुर्भाग्यपूर्ण है, नहीं होना चाहिए था. और जहां तक जस्टिस पटेल का सवाल है तो उनका ट्रांसफर किया था कॉलेजियम ने. अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया इसपर मुझे कुछ नहीं कहना है.

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इस सवाल पर कि क्या ये महज संयोग है कि एक जज इशरत जहां केस से तो दूसरा सोहराबुद्दीन केस से जुड़ा हुआ था? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये सवाल मोदी से नफरत की मानसिकता वाला है. ये उन लोगों का सवाल है जो मोदी जी से नफरत करते हैं. जिनको अमित शाह फूटी आंख नहीं सुहाते. ये आपका अधिकार है लेकिन पब्लिक आपकी नहीं सुनती तो हम क्या करें.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 संवेदनशील केस गुजरात दंगे के उठाए. सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर को एसआईटी प्रमुख बनाकर जांच करवाई. मोदी जी से घंटों पूछताछ हुई. कितना प्रचार हुआ उसका लेकिन एक भी सबूत उनके खिलाफ नहीं मिला. उसके बावजूद आज भी ये सवाल उठाए जा रहे हैं. ये मोदी विरोधी मानसिकता है.

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