
अमित शाह ने कहा कि मैं देश की जनता से डंके की चोट पर कहना चाहता हूं जितने भी कदम उठाए हैं उसकी स्क्रूटनी के लिए नरेंद्र मोदी सरकार तैयार है. हमने पूर्ण रूप से संवैधानिक तौर पर सभी फैसले किए हैं. देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों और सवालों पर उन्होंने यह बात कही है.
अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कांग्रेस पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने मंगलवार को कहा कि आज कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है, वो सब उसी के मुद्दे हैं. 370, CAA, NRC सब कांग्रेस ने पैदा किए, आज वही विरोध करे तो क्या उनसे सवाल न करें.
गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून लागू होने के बाद इस पर विस्तार से सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने इसका विरोध करने वालों के हरके सवाल का जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता कानून और एनआरसी लाने की बात तो पूर्व की कांग्रेस सरकार करती आई है लेकिन जब आज मोदी सरकार इसे लागू कर रही है तो वही लोग विरोध कर रहे हैं.
अमित शाह ने 1994 के अयोध्या एक्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस के ही एक्ट का पालन कर रहा हूं तो भी मैं सांप्रदायिक हो गया..तो भाई आपने ऐसा एक्ट क्यों बनाया? नागरिकता संशोधन कानून पर बताता हूं. नेहरू जी ने समझौता करके कहा था कि हमारा वचन है कि हम अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगे. कांग्रेस ने भी बहुत से लोगों से ये बात कही. उन्होंने (कांग्रेस) ये बात कही तो वो सांप्रदायिक नहीं हुए लेकिन हम कह रहे हैं तो कम्युनल हो गए.
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस एनआरसी पर सवाल उठा रही है जबकि एनआरसी का कॉन्सेप्ट राजीव गांधी लेकर आए और श्रीमती सोनिया गांधी विरोध कर रही हैं. राजीव गांधी लेकर आए तो वो सेक्यूलर था और मैं उनकी बनाई व्यवस्था को लागू कर रहा हूं तो कम्युनल हूं. मेरी तो समझ में नहीं आ रहा कि हम करें तो करें क्या? अमित शाह ने कहा ये सभी आपके (कांग्रेस) के एक्ट थे, कानून थे. सब आपने बनाए. अब आप विरोध क्यों कर रहे हैं. उनसे सवाल पूछना चाहिए.
असल में, आजतक के 'एजेंडा आजतक 2019' के कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर गृह मंत्री अमित शाह बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को जब बनाया गया था, उस समय संविधान सभा में ज्यादतर नेता कांग्रेस के थे. नेहरू जी ने संसद में कहा है कि 370 घिसते घिसते घिस जाएगी तो हमने घिस डाली. इसमें हमने नया क्या किया...भाई आपने ही कहा था कि ये अस्थायी है.
अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को जब बनाया गया था उस समय संविधान सभा में ज्यादतर नेता कांग्रेस के थे, इसमें कोई विवाद खड़ा नहीं कर सकता है. उसको (अनुच्छेद 370) अस्थायी लिखा गया था. क्यों अस्थायी लिखा...? इसे स्थायी कर देते तो हटाने का सवाल ही नहीं आता. उसे हटाने का रास्ता 370 में डाला गया, क्यों डाला गया? आपने (कांग्रेस) ही डाला है. नेहरू जी ने संसद में कहा है कि 370 घिसते घिसते घिस जाएगा तो हमने घिस डाली. इसमें हमने नया क्या किया...भाई आपने ही कहा था कि ये अस्थायी है.
देशभर में नए नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर अमित शाह ने कहा कि एनआरसी राजीव गांधी लेकर आए तब वो सेक्युलर था, अब सोनिया गांधी विरोध कर रही हैं. अमित शाह ने कहा, 'मैं स्पष्ट कर दूं कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा उन सबको निकाला जाएगा. इसलिए एनआरसी सिर्फ मुसलमानों के लिए है यह कहना गलत बात है.
उन्होंने कहा, 'दूसरी बात एनआरसी को लेकर कौन आया? जो लोग विरोध कर रहे हैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इसे कौन लेकर आया. मैं कांग्रेस अध्यक्ष और गुलाम नबी आजाद से पूछना चाहता हूं कि 1985 में जब असम समझौता हुआ तब पहली बार एनआरसी की बात स्वीकार की गई. उसके बाद 1955 के नागरिकता एक्ट में 3 दिसंबर 2004 को क्लॉज 14 (ए) जोड़ा गया. इससे स्पष्ट है कि 3 दिसंबर 2004 को यूपीए की सरकार थी. हमारी सरकार नहीं थी. उसके बाद में रूल 4 जोड़ा गया, जो देशभर में एनआरसी बनाने को ताकत देता है, वो भी 9 नवंबर 2009 को जोड़ा गया. उस समय भी कांग्रेस की सरकार थी. उनके (कांग्रेस) बनाए कानून पर वो हमसे ही सवाल कर रहे हैं. तो क्या आपने कानून शो केस में रखने के लिए बनाया था? जरूरी नहीं लगता था तो कानून क्यों बनाया?'
CAA और NRC को मिलाकर देखने पर सवाल पर उठता है कि सरकार की मंशा क्या है? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि इस मसले को निर्वाचन क्षेत्र के साथ जोड़कर मत देखिए. इसे थोड़ा पीछे जाकर देखना होगा. सबसे पहली बात है कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था. लेकिन यह कटु सत्य है कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. बंटवारा कभी धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने बंटवारा धर्म के नाम पर सरेंडर किया. इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ.
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया. ये नहीं होना चाहिए था. इसमें बहुत से लोगों का नुकसान हुआ. 1950 में नेहरू और लियाकत अली खान में समझौता हुआ कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगे. तब से लेकर अब तक के आंकड़ों को देखिए, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या कम हो गई. जब नेहरू-लियाकत समझौते पर अमल नहीं हुआ. तब ये करने की जरूरत पड़ी.