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पिछले 18 साल से लगातार भारत का नंबर वन न्यूज चैनल रहे 'आजतक' के हिंदी जगत के महामंच 'एजेंडा आजतक' के 8वें संस्करण की शुरुआत हो चुकी है. सोमवार को दिल्ली के ली मेरिडियन होटल में ‘कितना गुलाम-कितना आजाद’ सत्र में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ नागरिकता कानून पर मचे बवाल को लेकर चर्चा हुई. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ये सब सरकार की वजह से हो रहा है. अगर आप ऐसा बिल लाएंगे तो लोग विरोध करेंगे. पूरा हिंदुस्तान जल रहा है. नागरिकता कानून को लेकर जो घटना घट रही है, उसके लिए सीधे तौर केंद्र सरकार जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि कानून बनाने वाला मुजरिम है ना कि उसका विरोध करने वाला. ऐसा बिल लाने से पहले केंद्र सरकार को सोचना चाहिए था. किसी बिल में संसोधन से पहले उसमें जनता के हित का ख्याल रखना चाहिए था.
'राष्ट्रपति शासन लगाकर कानून लागू हो रहा है'
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार रहते हुए भी कश्मीर में बहुत से बदलाव किए गए, लेकिन वहां की विधानसभा की अनुमति से सभी बदलवा हुआ. जो कानून हिंदुस्तान में बना वहां भी लागू हुआ, लेकिन आप 370 हटाने का रास्ता ठीक नहीं चुना है. आज राज्यपाल शासन लगाकर कानून को लागू कर रहे हैं. आप खुद ही सब कुछ तय कर रहे हैं. 1947 में 12 स्टेट बने थे, जम्मू कश्मीर एक सिंगल स्टेट था. जम्मू कश्मीर एक स्टेट था. लेकिन आपने उसके टुकड़े कर दिए. आप पूरी फौज लगा कर कहिए वहां प्रदर्शन नहीं हो रहा है. ये वाजिब नहीं है.
'राज्य के 3 सीएम नजरबंद हैं'
जम्मू कश्मीर के हालात को लेकर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर के 4 सीएम हैं. सभी चलते फिरते हैं. इसमें 3 को केंद्र सरकार ने बंद कर रखा है और मुझे सुप्रीम कोर्ट की परमिशन लेकर जाना पड़ता है. लोकतंत्र में लीडर होते हैं और आपने राज्य के लीडरों को नजर बंद कर रखा है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि राज्य में सिर्फ 650 पॉलिटिकल वर्कर बंद हैं, जबकि उनकी संख्या 10000 के करीब है. इसके अलावा विधानसभा भंग है और काउंसिल को रद्द कर दिया गया.
'डेथ ऑफ एक्सपेक्टेशन की स्थिति'
राज्य में हिंसा की घटना कम हुई है के सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इंसान में एक्सपेक्टशन सबसे बड़ी चीज होती है. बच्चों को पैरंट्स से उम्मीद होती है, पब्लिक को सरकार से उम्मीद होती है. कश्मीर में दो-चार चीजों की डेथ हुई है. वहां डेथ ऑफ एक्सपेक्टेशन की स्थिति है. वहां के लोगों को सरकार की मानसिकता पता है. धीरे-धीरे देश को सरकार की मानसिकता पता चल रहा है. जब आदमी मर गया तो आप उससे क्या उम्मीद करते हो? आपने उनका स्टेट ले लिया, डाउनग्रेड कर दिया, आपने उनकी डेमोक्रेसी छीन ली, आपने उनका टूरिज्म छीन लिया, आपने उनकी एजुकेशन छीन ली, स्वास्थ सुविधा छीन ली, बिजनेस छीन लिया, अब क्या है. वो लोग एक जिंदा लाश है, जब तक हैं, तब तक हैं.