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एजेंडा आजतक: मनीष तिवारी बोले- धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए नागरिकता कानून

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि हमारा विरोध इस बात से नहीं है कि आप शरणार्थियों को नागरिकता ना दें. हमारा विरोध है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में नागरिकता क्षतिपूर्ति के आधार पर होना चाहिए, धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

  • धंधा है पर मंदा है सत्र में नागरिकता कानून पर हुई चर्चा
  • केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी पहुंचे

'एजेंडा आजतक' के 8वें संस्करण की शुरुआत हो चुकी है. सोमवार को दिल्ली के ली मेरिडियन होटल में ‘धंधा है पर मंदा है!’ सत्र में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सांसद मनीष तिवारी शामिल हुए. इस सेशन की शुरुआत में एक तस्वीर दिखाई गई, जिसमें कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी नागरिकता कानून पर जामिया हिंसा को लेकर धरने पर बैठी नजर आईं. इस सत्र में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि देश में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, चाहे पश्चिम बंगाल हो, पूर्वोतर हो या दिल्ली हो ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. कल सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सुनेगा.

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'छात्र आंदोलन का हिस्सा रहा हूं'

मनीष तिवारी ने कहा कि मैं छात्र राजनीति से जुड़ा रहा हूं और मैं इस देश में एक हिंसात्मक छात्र आंदोलन का हिस्सा रहा हूं. अपने अनुभव के आधार पर हिंसा की निंदा करता हूं. हमारा विरोध इस बात से नहीं है कि आप शरणार्थियों को नागरिकता न दें. हमारा विरोध है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में नागरिकता क्षतिपूर्ति के आधार पर होना चाहिए, धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए.

बीजेपी ने की वोट बैंक की राजनीति- तिवारी

मनीष तिवारी ने कहा कि पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह राज्यसभा में दूसरे देशों के पीड़ितों को शरण देने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा था कि धर्म के आधार पर उन्हें सिटीजनशिप दी जाए. उन्होंने पीड़ितों को शरण देने की बात कही थी. हमारी बस ये मांग थी कि विधेयक में धर्म के आधार पर नागरिकता ना दी जाए लेकिन बीजेपी ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इसे धर्म वाला बनाया.

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'अर्थव्यवस्था जरूरी और बुनियादी मुद्दा'

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था जरूरी और बुनियादी मुद्दा है, लेकिन अगर आप संविधान पर अघात करते हैं तो हमारा फर्ज बनता है हम उसका विरोध करें. मालदीव के लिए लोगों के अलग कानून होगा और श्रीलंका के लोगों के लिए अलग तो ये ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले आप किसी शरणार्थी को शरण दें, फिर उसका धर्म पूछें.

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