
देश में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने में सरकार से लेकर प्रशासन तक सब फेल साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि राजधानी दिल्ली समेत भारत के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम तो उठा रही है पर इसका असर होता दिखाई नहीं दे रहा है.
वहीं, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक वैदिक काल की विधा पर वैज्ञानिकों ने दावा किया है. इसका नाम है अग्निहोत्र. यह एक प्रकार का हवन है. इस पर वैज्ञानिक और रिसर्चर्स ने दावा किया है कि इससे वायु प्रदूषण कम होता है.
पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में रिसर्च स्कॉलर के तौर पर काम कर रहे प्रणय अभंग ने अग्निहोत्र पर कुछ प्रयोग किए हैं. इसमें उन्होंने पाया कि अग्निहोत्र से वायु, जल और मृदा प्रदूषण में कमी आई है. प्रणय बताते हैं कि अग्निहोत्र पर हमने कई प्रयोग किए हैं ताकि मॉडर्न साइंस के जरिये लोग इसे समझ सकें.
वायुमंडल में सूक्ष्म जीव हुए कम...
प्रणय ने बताया कि अग्निहोत्र से वैसे तो कई फायदे होते हैं, लेकिन हमने वायुमंडल पर असर जानने के लिए अग्निहोत्र पर कई प्रयोग किए. इन प्रयोगों के तहत हमने तीन दिन तक सूर्योदय और सूर्यास्त पर अग्निहोत्र हवन किया. इस हवन में हमने पिरामिड आकार का पात्र लिया. इसमें हमने गाय के गोबर के कंडे और वैदिक मंत्र के साथ सूर्योदय और सूर्यास्त के तय समय पर गाय के घी और चावल के साथ आहुति दी.
हमने अग्निहोत्र के धुंए का असर जानने के लिए तीन चरणों में टेस्ट किए. इसमें पहला चरण अग्निहोत्र के पहले, दूसरा चरण अग्निहोत्र करते वक्त और तीसरा चरण अग्निहोत्र के बाद था. इसके लिए Nutrient Agar Plates इस्तेमाल की. हमने देखा कि अग्निहोत्र करने के बाद घर के आसपास मौजूद हवा में 80 से 90 प्रतिशत सूक्ष्म जीव कम हुए हैं.
एयर पॉल्यूटेंट्स में आई कमी...
हैरानी की बात तो यह कि अग्निहोत्र हवन से एयर पॉल्यूटेंट्स में भी कमी आते हुए देखा गया. प्रणय बताते हैं कि हमने अग्निहोत्र से वायु प्रदूषण कम होने के दावों की सच्चाई जानने के लिए हैंडी एयर सैंपलर की मदद ली. इसमें यह सामने आया कि अग्निहोत्र करने से प्राइमरी एयर पॉल्यूटेंट्स ऑक्साइड्स ऑफ़ नाइट्रोजन और ऑक्साइड्स ऑफ़ सल्फर में कमी आई है. प्रणय का मानना है कि यदि बड़े पैमाने पर अग्निहोत्र किया जाए तो वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है.
भोपाल गैस कांड के वक्त दिखा था अग्निहोत्र का चमत्कारी असर...
1984 में हुए भोपाल गैस कांड के वक्त अग्निहोत्र के कई चमत्कारी असर दिखाए दिए थे. गैस लीक की वजह से भोपाल में लोगों की मौतें हो रहीं थी. ठीक उसी वक्त एक कुशवाहा परिवार ने अग्निहोत्र हवन किया. इससे कुछ ही मिनटों के भीतर कुशवाहा के घर से मिथाइल आइसो साइनाइड गैस का असर कम हो गया.
भोपाल गैस कांड के वक्त अग्निहोत्र करने वाले कुशवाहा परिवार के सदस्य प्रसाद बताते हैं कि अग्निहोत्र करते ही अग्निहोत्र से निकलने वाले धुएं ने एक कवर बना दिया जिस कारण मिथाइल आइसो साइनाइड गैस का असर नहीं हुआ. आज भी हमारे घर के सदस्य स्वस्थ हैं.
राख से बनती दवाइयां...
अग्निहोत्र हवन करने के बाद जो राख बचती है उससे कई दवाइयां भी तैयार की जाती हैं. इसक अलावा खेतों में भी जैविक खेती में इस राख का इस्तेमाल किया जाता है. जानकार बताते हैं कि अग्निहोत्र की राख से मंजन, आईड्रॉप समेत कई दवाइयां बनती हैं. वहीं, गाय के गोबर और गोमूत्र के जरिये खाद भी अग्निहोत्र की राख से तैयार की जाती है.
फोटो क्रेडिट: भारतीय बौद्धिक संपदा