
2019 की चुनावी जंग के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच विपक्षी पार्टियों ने अपनी रिसर्च टीम बनानी शुरू कर दी है. इन पार्टियों की 'पोल-खोल' टीम की भूमिका बेहद स्पष्ट है, जिनका काम गवर्नेंस के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'झूठ' को बेनकाब करना है. साथ ही अपने नेताओं को रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए फैक्ट और आंकड़े उपलब्ध कराना है.
दो साल बाद होने वाले संसदीय चुनावों पर नजर रख रही इन पार्टियों के लिए रिसर्च टीम उनकी रणनीतियों का अभिन्न हिस्सा है. जनवरी महीने में, संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के तीन हफ्ते पहले कांग्रेस के रिसर्च डिपार्टमेंट ने अर्थशास्त्रियों, एकेडमिक्स, थिंक टैंक रिसर्चर्स, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स, सोशल एक्टिविस्ट और पत्रकारों से बातचीत और संपर्क कर बड़े पैमाने पर डाटा इकट्ठे किए और 'रियल एस्टेट ऑफ द इकोनॉमी' नाम से एक सारगर्भित रिपोर्ट तैयार की. इस रिपोर्ट की प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने लिखी थी.
राज्यसभा सांसद और एआईसीसी के रिसर्च डिपार्टमेंट के चेयरमैन एमवी गौड़ा ने कहा कि यह रिपोर्ट बड़ी मेहनत से तैयार की गई थी और आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के एक दिन पहले डॉ. मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम ने इसे जारी किया. अफसरशाही में मौजूद हमारे दोस्तों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया और आंकड़ों की जांच के लिए वरिष्ठ अफसरों को इसे सौंपा गया. हमारे आंकड़ों को गलत ठहराने के लिए कई सारी प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ. हमारे डाटा बिल्कुल सही थे और इसने मोदी सरकार को रंगे हाथों पकड़ लिया.
गौड़ा ने कहा कि शुरू में हमारा काम संसदीय मामलों पर नजर रखना था और अपने सांसदों को संसद के भीतर चल रहे मामलों पर अपडेट करना था. साथ ही मंत्रालय के कार्यों पर भी नजर रखते कि कहीं कुछ छूट तो नहीं रहा. अब हमारा फोकस रिसर्च पर है ताकि बीजेपी नेताओं के दावों को एक्चुअल डाटा से मिलाया जा सके.
उन्होंने कहा कि हम ब्रेकिंग न्यूज के कैदी नहीं है, किसी भी मुद्दे की गहराई में जाने के लिए हमारे पास पूरा समय है. कहा जा सकता है कि अहिंसक राजनीति के लिए यह एक गोला बारूद फैक्ट्री है.
आम आदमी पार्टी की रिसर्च सेल
कांग्रेस की आठ सदस्यीय रिसर्च और को-ऑर्डिनेशन टीम तीन साल पुरानी है. हाल ही में इसे पूरी तरह से रिसर्च डिपार्टमेंट में चेंज किया गया है. दूसरी ओर आम आदमी पार्टी की रिसर्च सेल में कुल 30 वॉलंटियर की टीम है, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के लोग हैं. इस टीम को आप के युवा नेताओं आतिशी मारलेना और विधायक सौरभ भारद्वाज लीड कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी रिसर्च सेल के हेड अर्जुन जोशी ने कहा कि रिसर्च सेल की शुरुआत दो महीने की इंटर्नशिप के साथ शुरू हुई थी, लेकिन अब इसे स्थायी बॉडी का रूप दे दिया गया है. इसमें 26 साल से कम उम्र के 30 सदस्य हैं, जिसमें इतिहास, राजनीति शास्त्र, गणित और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स भी शामिल हैं. ये सभी लोग पुख्ता आंकड़े और तथ्य इकट्ठा करते हैं, ताकि इस बात को साबित किया जा सके कि मोदी सरकार फिसलती जा रही है.
आप और कांग्रेस की रिसर्च टीमें विभिन्न विभागों में आरटीआई डालकर सूचना जुटा रही हैं, ताकि प्रमाणित जानकारियों के आधार पर तथ्य इकट्ठा किए जा सके. आरटीआई में मिले डाटा को बीजेपी नेताओं और मंत्रियों के बयान और दावे से मिलाकर आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया पर पुश किया जा रहा है.
कांग्रेस के गौड़ा ने कहा कि कई बार शशि थरूर और मणिशंकर अय्यर जैसे नेता हमारे डाटा बैंक का उपयोग संपादकीय और लेख लिखने के लिए करते हैं. कई सारे वरिष्ठ नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले फैक्ट और आंकड़े के लिए भी डाटा बैंक की मदद लेते हैं. उन्होंने कहा कि हम अब राज्य स्तरीय टीमों का गठन कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत राजस्थान और हैदराबाद से हो रही है. हैदराबाद की टीम तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का जिम्मा लेगी.