
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हज़ारों रेजिडेंट डॉक्टर लगातार दूसरे दिन भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर डटे हैं.
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक सफदरजंग और राम मनोहर लोहिया अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया गया है, लेकिन सिर्फ एम्स में ही सिफारिशें लागू नहीं की गई हैं. लिहाज़ा अपनी मांगों को लेकर सभी रेजिडेंट डॉक्टर तब तक भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती.
आरडीए का कहना है कि वह रोज़ाना लंच टाइम पर 1 घंटे एम्स के गेट पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. साथ ही अपनी भूख हड़ताल जारी रखेंगे. हालांकि रेजिडेंट डॉक्टर रोज़ाना अपनी ड्यूटी भी कर रहे हैं. डॉक्टरों ने कहा कि वो मरीज़ों को परेशान नहीं करना चाहते लेकिन अपनी हक़ की लड़ाई वो जारी रखेंगे.
एम्स आरडीए के अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से इस मामले को लेकर अपील की है. हालांकि, अभी तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. लेकिन हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे. उनका कहना है कि इस बार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कराए बिना हड़ताल को वापस नहीं लेंगे.
अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के दूसरे दिन आरडीए को एम्स नर्सिंग स्टाफ और एम्स ऑटी टेक्निशन स्टाफ का भी समर्थन मिला. हड़ताल पर बैठे स्टाफ ने कहा कि देश के सबसे बड़े अस्पताल में मरीज़ों की सेवा के लिए हम पूरी ईमानदारी से काम करते हैं. जबकि हमें ओवर टाइम भी कराया जाता है, लेकिन सुविधाएं न के बराबर दी जाती हैं. सातवां वेतन आयोग मिलना हमारा अधिकार है. एम्स प्रशासन के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा.