
अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं. 2016 के चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी का पक्षपात करने का आरोप झेल चुके ट्विटर और फेसबुक नए नियम लेकर आए हैं, लेकिन भारत में भी फेसबुक के नियमों पर बहस शुरू हो गई है. भारत में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने फेसबुक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं.
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'अलग-अलग लोकतंत्रों में फेसबुक के अलग-अलग मानक क्यों हैं? यह किस तरह का निष्पक्ष मंच है? यह रिपोर्ट बीजेपी के लिए नुकसानदेह है- यह समय है कि बीजेपी के फेसबुक के साथ संबंधों का खुलासा हो गया है और फेसबुक कर्मचारी पर बीजेपी के नियंत्रण की भी प्रकृति सामने आई.'
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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे पर फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को घेरा है. दिग्विजय ने ट्वीट किया, 'मार्क जकरबर्ग कृपया इस पर बात करें. प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक अंखी दास को फेसबुक में नियुक्त किया गया जो खुशी-खुशी मुस्लिम विरोधी पोस्ट को सोशल मीडिया पर अप्रूव करता है. आपने साबित कर दिया कि आप जो उपदेश देते हैं उसका पालन नहीं करते.'
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सीपीएम ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं. सीपीएम ने कहा, 'क्या फेसबुक ने बीजेपी के साथ मिलकर हेट स्पीच को फैलाया है और चुनावी मुद्दों पर पक्षपात किया है? वॉल स्ट्रीट जनरल ने रिपोर्ट की कि फेसबुक के शीर्ष कार्यकारी कह रहे हैं कि इस तरह के भाषण पर अंकुश लगाने से फेसबुक के व्यावसायिक हितों को नुकसान होगा. ऐसी गड़बड़ का विवरण सार्वजनिक करने की आवश्यकता है.'
दरअसल ये पूरा विवाद अमेरिकी अखबार की एक रिपोर्ट से शुरू हुआ है. वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी नेता टी.राजा ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा था कि रोहिंग्या मुसलमानों को गोली मार देनी चाहिए. उन्होंने मुस्लिमों को देशद्रोही बताया था और मस्जिद गिराने की भी धमकी दी थी. इसका विरोध फेसबुक की कर्मचारी ने किया था और इसे कंपनी के नियमों के खिलाफ माना था, लेकिन कंपनी के भारत में बैठने वाले वरिष्ठ कर्मचारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी, जिसके बाद ओवैसी और दिग्विजय ने फेसबुक की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए.