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मुस्लिम धर्मगुरु बोले- 6 में से 4 लोग अयोध्या पर रिव्यू पिटीशन डालने के हक में

AIMPLB की कार्यकारी समिति में 51 सदस्य है. ये सदस्य ये तय करेंगे कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर किया जाए या नहीं. इसके अलावा फैसले में दी गई 5 एकड़ जमीन को मुस्लिम पक्ष स्वीकार करे या नहीं.

बैठक में शामिल होने पहुंचे AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फोटो-आजतक) बैठक में शामिल होने पहुंचे AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (फोटो-आजतक)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 17 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST

  • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में विवाद
  • रिव्यू पिटीशन दाखिल करने पर होगा फैसला
अयोध्या मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करने के लिए होने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक विवादों में आ गई. सूत्रों के मुताबिक नदवा इस्लामिक सेंटर में जैसे ही बैठक शुरू हुई, रिव्यू पिटीशन पर संग्राम छिड़ गया. बैठक में कई नेता रिव्यू पिटीशन के खिलाफ थे तो कई नेता बैठक की जगह को लेकर आपत्ति उठा रहे थे कि आखिर इल्म के केंद्र में सियासी और धार्मिक फैसले कैसे लिया जा रहा है. विवाद इतना बढ़ा कि मीटिंग को कैंसिल कर नई जगह पर शिफ्ट करना पड़ा.

यूनिवर्सिटी में सियासी मीटिंग क्यों?

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इस मीटिंग के बारे में मुस्लिम धर्मगुरु सूफियान निजामी ने कहा, आज की बैठक में रिव्यू पिटीशन पर फैसला होगा कि मुस्लिमों के लिए मस्जिद बनाने के लिए जमीन ली जाए या नहीं. 6 में से 4 वादियों का कहना है कि रिव्यू पिटीशन फाइल करनी चाहिए. हालांकि आखिरी फैसला बोर्ड को लेना है. करीब 3.30 बजे प्रेस को संबोधित किया जाएगा. ओवैसी के बयान पर बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो की टिप्पणी पर उन्होंने कहा, मैं किसी राजनीतिक बयान पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. हम फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और अगर रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाती है तो यह हमारा संवैधानिक अधिकार है.

उन्होंने यह भी कहा कि विवाद के बाद अब मीटिंग दूसरी जगह पर की जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ के मुमताज मुस्लिम कॉलेज में मीटिंग हो रही है. सूफियान निजामी ने कहा कि विवाद के बाद AIMIM चीफ ओवैसी यहां से निकल गए. निजामी ने कहा कि जिस तरीके से लखनऊ में और खासकर नदवा में यह मीटिंग हो रही थी उसे लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे थे कि आखिर यूनिवर्सिटी में इतना बड़ा सियासी फैसला लेने के लिए यह बैठक क्यों हो रही थी.

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कई सदस्य इस बात पर भी आपत्ति जता रहे थे कि जब एक बार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ले लिया है तो फिर इस मीटिंग का औचित्य क्या है? बता दें कि कल हुई AIMPLB की इस बैठक में ज्यादातर मुस्लिम नेता अयोध्या के फैसले के खिलाफ रिव्यू पीटिशन के पक्ष में थे, लेकिन कुछ इसके खिलाफ भी नजर आए. आज इसी मसले पर फाइनल मुहर लगनी है.

AIMPLB की कार्यकारी समिति में 51 सदस्य है. ये सदस्य ये तय करेंगे कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर किया जाए या नहीं. इसके अलावा फैसले में दी गई 5 एकड़ जमीन को मुस्लिम पक्ष स्वीकार करे या नहीं.

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