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केरलः दो बार टाली लैंडिंग, तीसरे में विमान को नहीं बचा सके पायलट, गंवा दी जान

बताया जा रहा है कि कोझिकोड हादसे को टालने के लिए विमानों के दोनों पायलटों ने बहुत कोशिश की. मगर हादसे को नहीं रोक सके.

कोझिकोड के हादसे ने देश के दो बहादुर पायलटों की जान ले ली कोझिकोड के हादसे ने देश के दो बहादुर पायलटों की जान ले ली
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

  • कैप्टन अखिलेश और दीपक साठे थे देश के बेहतरीन पायलट
  • तमाम कोशिशों के बावजूद विमान हादसे का शिकार हो गया

दुबई से आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान शुक्रवार शाम केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर लैंडिंग के बाद दो हिस्सों में टूट गया. इसमें पायलट और को-पायलट समेत 18 लोगों की मौत हो गई.

कोझिकोड हादसे को टालने में दोनों पायलट ने बहुत कोशिश की. बताया जा रहा है कि पायलटों ने दो बार लैंडिंग टाली थी, तीसरी बार कोशिश की लेकिन विमान को हादसे की चपेट में आने से नहीं बचा सके. कैप्टन अखिलेश और दीपक साठे दोनों की गिनती देश के बेहतरीन पायलटों में की जाती थी, जो इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे.

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हादसे में मरने वालों में 59 वर्षीय पायलट-इन-कमांड कैप्टन दीपक साठे और उनके को-पायलट कैप्टन अखिलेश कुमार (33) भी शामिल हैं. दीपक साठे भारतीय वायु सेना (IAF) के पूर्व विंग कमांडर थे और उन्होंने एयरफोर्स के उड़ान परीक्षण प्रतिष्ठान में सेवा की थी.

बताया जा रहा है कि एयरफोर्स के बैकग्राउंड और अपने कुशल एविएशन एक्सपीरियंस के बल पर दीपक साठे ने कोझिकोड में विमान को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया. मगर इन तमाम प्रयासों के बावजूद विमान हादसे का शिकार हो गया.

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एयर इंडिया के लिए काम करने वाले दीपक साठे एक जमाने में एयरफोर्स अकेडमी के एक होनहार कैडेट के रूप में जाने जाते थे. दीपक साठे को उनकी काबिलियत के बल पर एयरफोर्स अकेडमी का प्रतिष्ठित 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' सम्मान भी मिल चुका था. एयरफोर्स की नौकरी के बाद उन्होंने एयर इंडिया की कॉमर्शियल सर्विसेज ज्वॉइन कर ली थी. पायलट दीपक साठे के पिता सेना में ब्रिगेडियर थे. वहीं उनके एक भाई करगिल युद्ध में शहीद हो गए थे.

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दीपक देश के उन चुनिंदा पायलट्स में से एक थे, जिन्होंने एयर इंडिया के एयरबस 310 विमान और बोइंग 737 को उड़ाया था. कोझिकोड हादसे ने देश के दो बेहतरीन पायलट छीन लिए.

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