Advertisement

एयर इंडिया यौन शोषण केस: मैनेजमेंट पर 'प्रभु' के निर्देश का भी असर नहीं

हालांकि सुरेश प्रभु के अलावा अन्य किसी ने पीड़िता की चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं भेजा. वहीं सुरेश प्रभु का निर्देश इतना चलताऊ किस्म का रहा कि एयर इंडिया ने आरोपी GM के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अनिंद्य बनर्जी/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2018,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

एक महिला कर्मचारी ने बीते दिनों एयर इंडिया के GM पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे. पीड़िता ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को चिट्ठी भी लिखी थी.

हालांकि सुरेश प्रभु के अलावा अन्य किसी ने पीड़िता की चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं भेजा. वहीं सुरेश प्रभु का निर्देश इतना चलताऊ किस्म का रहा कि एयर इंडिया ने आरोपी GM के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

Advertisement

अब पीड़िता की तरफ से एयर इंडिया के पूर्व कर्मचारियों के एक ग्रुप ने सुरेश प्रभु और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी को फिर से शिकायती चिट्ठी लिखी है. पूर्व कर्मचारियों की इस चिट्ठी में कहा गया है कि मामले की जांच के लिए अलग से समिति गठित नहीं की गई, जिसके चलते एयरलाइंस मैनेजमेंट फिर से पूरे मामले को दबाने में लग गया है.

इतना ही नहीं चिट्ठी में एयरलाइंस की इंटर्नल कंप्लेंट कमिटी की अध्यक्ष अरुणा गोपालकृष्णन पर भी आरोपी GM का ही पक्ष लेने का आरोप भी लगाया गया है. इतना ही नहीं पीड़िता के मुताबिक, एयरलाइंस मैनेजमेंट ने सुरेश प्रभु के उलट बयान दिए.

पीड़िता के लिए स्थिति हुई और खराब

चिट्ठी में कहा गया है कि सुरेश प्रभु द्वारा पीड़िता को न्याय दिलाने की बात कहने के बावजूद जो कदम उठाए गए हैं, वह पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि पीड़िता के लिए काम करने की परिस्थितियों को और भी खराब बनाती हैं.

Advertisement

बताया गया है कि यौन शोषण के आरोपी जीएम कैप्टन डेरिल पेस के कुकर्मों को अब तक छुपाती आ रहीं आईसीसी की चेयरपर्सन अरुणा गोपालकृष्णन को इन फ्लाइट सर्विस डिपार्टमेंट का प्रभार सौंप दिया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि वास्तव में यह एक छद्म प्रशासन है जो मीडिया में इससे संबंधित खबरें धीमी पड़ने के बाद आरोपी अधिकारी का ही पक्ष लेगी, बल्कि उन्हीं के निर्देश पर काम करने लगेगी.

जांच बिठाने के बावजूद पद पर बने हुए हैं आरोपी GM

शिकायतकर्ता की चिट्ठी से स्पष्ट है कि कई महिला कर्मचारियों का यौन शोषण करने का आरोप लगने और जांच बिठाए जाने के बावजूद आरोपी अधिकारी को उसके पद से नहीं हटाया गया है, जो विशाखा गाइडलाइंस का उल्लंघन है. शिकायतकर्ता महिला ने आईसीसी को अपनी पहली शिकायत पिछले साल 27 अगस्त को दी थी.

उस समय आईसीसी सीएमडी लोहाणी थे. हालांकि शिकायत रिसीव करने के महज कुछ घंटों के अंदर लोहाणी का ट्रांसफर कर दिया गया और लोहाड़ी के जाने के बाद किसी ने उस कंप्लेंट पर ध्यान ही नहीं दिया.

इस बीच इंटर्नल कंप्लेंट कमिटी की अध्यक्ष अरुणा गोपालकृष्णन ने यह कहकर शिकायत को दरकिनार करने की कोशिश की कि 'तो इससे क्या, कैप्टन डेरिल मुझसे भी तो फ्लर्ट करते हैं.'

Advertisement

आरोपी अधिकारी के पास हैं इतने अधिकार

शिकायतकर्ता ने इस पत्र में विस्तार से बताया है कि आरोपी अधिकारी एयर इंडिया के GM कैप्टन डेरिल पेस आखिर एयरलाइंस की ढेरों महिला कर्मचारियों के यौन शोषण का इतना गंभीर अपराध करने के बावजूद कैसे बचते चले आ रहे हैं.

चिट्ठी में बताया गया है कि दरअसल कैप्टन डेरिल पेस के पास इतने प्रशासनिक अधिकार हैं कि कोई भी उनके खिलाफ खड़े होने का साहस ही नहीं कर पाता. कैप्टन डेरिल पेस के अधीन करीब 300 कर्मचारी हैं, जिनमें से 75 फीसदी महिलाएं हैं.

आरोपी अधिकारी हर तरह की आतंरिक जांच के मामलों में डिसिप्लिनरी अथॉरिटी और अपील अथॉरिटी भी हैं. वह पायलट्स वेलफेयर फंड के हेड हैं, जो पायलटों को उनका वेतन मुहैया कराता है. वह इन फ्लाइट सर्विसेज, जिसमें मनोरंजन, वर्दी और होटल के खर्चे भी आते हैं, के लिए निकलने वाले टेंडर्स को अप्रूव करते हैं.

क्रू मैनुअल का निर्माण और नए नियम बनाना भी आरोपी अधिकारी के हाथ में ही है. इतना ही नहीं वह पायलटों को चुनने वाली पायलट्स रीक्रूटमेंट बोर्ड के सदस्य भी हैं और केबिन क्रू रीक्रूटमेंट पैनल का चयन भी वही करते हैं.

देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की वीवीआईपी फ्लाइट में तैनाती के लिए क्रू मेंबर्स का चयन भी वही करते हैं. साथ ही वह किसी कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान, आईआईएफए जैसे फिल्म फेस्टिवल्स और एयर इंडिया के महोत्सवों जैसे सभी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के लिए क्रू मेंबर्स का चयन उनके हाथ में ही है.

Advertisement

और हर बार आरोपी अधिकारी अपनी पसंदीदा युवा महिला कर्मचारियों का ही चयन करते हैं.

ऑफिस में खुलेआम करते हैं अश्लील भाषा का इस्तेमाल

चिट्ठी के साथ आरोपी अधिकारी द्वारा ऑफिस में महिला कर्मचारियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अश्लील भाषा के कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं, जो बेहद आपत्तिजनक हैं. आरोपी अधिकारी द्वारा कही गई अश्लील बातें साफ-साफ इस ओर इशारा करती हैं कि ऑफिस में सिर्फ उन्ही कर्मचारियों को लाभान्वित किया जाता है, जो उन्हें सेक्सुअल फेवर देती हैं.

शिकायतकर्ता के मुताबिक, आरोपी अधिकारी खुलेआम दूसरे तमाम कर्मचारियों के सामने ही किसी महिला कर्मचारी के गुप्तांगों, अपनी सेक्स गतिविधियों और सेक्स रूचियों के बारे में टिप्पणियां करते रहते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement