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भूपेंद्र हुड्डा और मोतीलाल वोरा को राहत, ईडी कोर्ट से जमानत मंजूर

पंचकूला की विशेष प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कोर्ट ने भूपेंद्र हूड्डा और मोतीलाल वोरा की जमानत को मंजूर कर लिया. मामले की अगली सुनवाई अब 10 दिसंबर को होगी.

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा (फाइल फोटो) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा (फाइल फोटो)
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • पंचकूला,
  • 06 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

  • हुड्डा और मोतीलाल वोरा को बड़ी राहत
  • दोनों नेताओं की जमानत याचिका मंजूर

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा को बड़ी राहत मिली है. पंचकूला की विशेष प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कोर्ट ने भूपेंद्र हूड्डा और मोतीलाल वोरा की जमानत को मंजूर कर लिया. मामले की अगली सुनवाई अब 10 दिसंबर को होगी.

पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष ईडी कोर्ट में एजेएल प्लांट आवंटन मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है. आज की सुनवाई के दौरान मामले के दोनों मुख्य आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्ड और एजेएल हाउस के चेयरमैन मोतीलाल वोरा कोर्ट में पेश हुए थे. बीती सुनवाई में दोनों नेताओं को कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी. दोनों को 5-5 लाख के निजी बेल बांड पर जमानत मिली थी.

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इसके बाद बचाव पक्ष की ओर से रेगुलर बेल याचिका लगाई गई थी. इसी पर आज सुनवाई हुई है. आज की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने बचाव पक्ष की याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया है. जिसके बाद ईडी कोर्ट ने बचाव पक्ष की याचिका पर फैसला सुनाया.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल सीबीआई ने एक दिसंबर 2018 को हुड्डा और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. एजेंसी ने नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एजेएल को पंचकूला में एक प्लाट के दोबारा से आवंटन करने संबंधी मामले में चार्जशीट बनाई थी.

पद के दुरुपयोग का आरोप

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया कि हुड्डा ने बड़ी गड़बड़ी करते हुए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और पुरानी दरों पर एजेएल को संस्थागत प्लाट का फिर से आवंटन कर दिया. इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाते हुए निजी कंपनी को लगभग 67.65 लाख रुपये का लाभ पहुंचाया गया.

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इस मामले में आरोपित के तौर पर हुड्डा, एजेएल कंपनी और इसके अध्यक्ष वोरा सहित 33 अन्य लोग शामिल हैं. इनके खिलाफ पंचकूला की अदालत में विशेष सीबीआई न्यायाधीश के समक्ष चार्जशीट दाखिल की गई.

एजेंसी ने औपचारिक रूप से धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के 420 (धोखाधड़ी) और आपराधिक कदाचार के लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक लाभ प्राप्त करने जैसे आरोप लगाए हैं.

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