
केंद्र में एनडीए सरकार आने के बाद महज 6 महीने में ही अजमेर ब्लास्ट के 13 गवाह अपने बयानों से पलट गए हैं. पलटने वालों में से एक महत्वपूर्ण गवाह रणधीर सिंह तो झारखंड के बीजेपी सरकार में मंत्री तक बन गए.
एनआईए सवालों के घेरे में
गवाहों के पलटने के सिलसिले से जहां एक तरफ मामले की सुनवाई ठप पड़ गई है, वहीं मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पर भी सवाल उठने लगे हैं. अक्टूबर 2007 में अजमेर के दरगाह शरीफ में हुए बम ब्लास्ट की जांच को भारी धक्का लगा है. गवाहों का कहना है कि बयान के लिए एनआईए ने दबाव डाला था.
यूपीए सरकार में हो रहे थे खुलासे
साल भर पहले तक यूपीए सरकार में जहां रोजाना एक पर एक खुलासे हो रहे थे, वहीं एनडीए सरकार आने के बाद गवाह मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयानों से भी पलट रहे हैं. नवंबर 2014 से लेकर मई 2015 तक अजमेर ब्लास्ट के 13 गवाह अपने बयान से पलट चुके हैं. मई 2015 में पलटने वाले गवाह रणधीर सिंह हैं, जिन्होंने एनआईए को बयान दिया था कि इन्होंने संघ के जुड़े दो लोगों को बम ले जाते देखा था.
मंत्री बनते ही बदला बयान
इसके बाद रणधीर सिंह ने झारखंड से चुनाव लड़ा और विधायक बन गए. झारखंड चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला, तो सरकार बनाने के लिए रणधीर सिंह को शामिल कर मंत्री बना दिया. मंत्री बनते ही रणधीर सिंह 6 मई 2015 को कोर्ट में अपने दिए बयान से मुकर गए.
RSS के 12 लोगों को किया गया था चार्जशीट
सरकारी वकील अश्विनी शर्मा ने बताया कि
अजमेर ब्लास्ट में दरगाह शरीफ में कुल तीन लोगों की मौत हुई थी. इसकी जांच राजस्थान की एटीएस कर रही थी. इसमें आरएसएस से जुड़े 12 लोगों को चार्जशीट किया गया था. जून 2014 से इसके ट्रायल शुरु हुए. इस मामले में आरएसएस नेता इंद्रेश का भी नाम आया, लेकिन उसमें भी गवाह बाद में पलट गया.