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अजमेर ब्लास्ट केसः 10 साल लगे, 26 गवाह मुकरे, 3 दोषी मगर 5 बच गए

जयपुर की नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की स्पेशल कोर्ट ने अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाते हुए मृतक जोशी, देवेंद्र गुप्ता और भावेश समेत तीन लोगों को दोषी करार दे दिया.

इस मामले में विशेष अदालत 16 मार्च को सजा का ऐलान करेगी इस मामले में विशेष अदालत 16 मार्च को सजा का ऐलान करेगी
परवेज़ सागर/शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 08 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST

जयपुर में एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने अजमेर बलास्ट मामले में फैसला सुनाते हुए तीन लोगों को दोषी करार दिया है. जबकि आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेस समेत पांच लोगों को बरी कर दिया गया. इस मामले कुल 49 गवाह थे. जिसमें से 26 अहम गवाह अपने बयान से मुकर गए थे. जिनमें एक मंत्री भी शामिल है. पहले यह फैसला 25 फरवरी को आना था लेकिन बाद में कोर्ट ने इसके लिए 8 मार्च का दिन तय किया था. दोषियों को 16 मार्च के दिन सजा सुनाई जाएगी.

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करीब दस साल बाद अजमेर बम ब्लास्ट मामले में स्पेशल एनआईए कोर्ट ने आरएसएस के दो प्रचारकों सुनील जोशी और देवेंद्र गुप्ता समेत उनके सहयोगी भवेश भाई पटेल को दोषी माना है. इसमें संघ प्रचारक सुनील जोशी की अजमेर ब्लास्ट के दो महीने बाद ही हत्या कर दी गई.

इंद्रेस और असीमानंद बरी
जयपुर की नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की स्पेशल कोर्ट ने अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाते हुए मृतक जोशी, देवेंद्र गुप्ता और भावेश समेत तीन लोगों को दोषी करार दे दिया. जबकि RSS नेता इंद्रेश कुमार और स्वामी असीमानंद समेत पांच लोगों को क्लीन चिट देते हुए बरी कर दिया गया.

कुल मिलाकर थे 13 आरोपी
बताते चलें कि इस मामले में RSS से जुड़े हिंदूवादी संगठनों के 13 लोग आरोपी थे. जिनमें स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, मुकेश वासनानी, लोकेश शर्मा, हर्षद भारत, मोहन रातिश्वर, संदीप डांगे, रामचंद कलसारा, भवेश पटेल, सुरेश नायर और मेहुल शामिल थे.

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एक आरोपी की हत्या
इनमें से एक आरोपी सुनील जोशी की हत्या कर दी गई थी. वहीं आरोपियों में से संदीप डांगे और रामचंद कलसारा अभी तक लापका हैं. एनआईए और पुलिस अभी तक उनका कोई सुराग नहीं लगा पाई हैं.

मुकर गए थे 26 अहम गवाह
बताते चलें कि बीती 11 अक्टूबर 2007 की शाम करीब सवा छः बजे अजमेर दरगाह में ब्लास्ट हुआ था. जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 15 लोग घायल हुए थे. इस मामले में कुल 184 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे. जिसमें से 26 महत्वपूर्ण गवाह अपने बयान से मुकर गए थे. जिनमें झारखंड के मंत्री रणधीर सिंह भी शामिल हैं.

मजिस्ट्रेट के सामने कबूला था जुर्म
अन्य गिरफ्तार आरोपियों ने बम धमाका करने की बात मजिस्ट्रेट के सामने कबूल की थी. केंद्र में बीजेपी सरकार के आते ही सभी आरोपी और गवाहों ने सीबीआई और एनआईए पर दबाव बनाकर और डरा धमकाकर बयान दर्ज करवाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वे इस तरह के किसी बम धमाके के बारे में नहीं जानते हैं.

चार्जशीट में था इंद्रेस का नाम
खास बात है कि इस मामले की चार्जशीट में आरएसएस के नेता इंद्रेस कुमार का नाम भी साजिशकर्ता के तौर पर चार्जशीट में शामिल किया गया था. चार्जशीट में बताया गया कि जयपुर के गुजराती भवन में बैठक कर इस धमाके की प्लानिंग की गई थी.

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बीजेपी सरकार आने पर पलटे गवाह
लेकिन एनआईए ने जांच के दौरान इंद्रेस को आरोपी नहीं बनाया. इनमें से एक आरोपी भवेश पटेल ने तो कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर धमका कर बम धमाके की बात कबूल करवाने का आरोप लगाया था. आजतक से बातचीत में एनआईए के सरकारी वकील ने आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार के दबाव में सारे गवाह और आरोपी बयान पलट रहे हैं.

बदले के लिए किए थे धमाके
चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों ने 2002 में अमरनाथ यात्रा और रघुनाथ मंदिर पर हुए हमले का बदला लेने लिए अजमेर शरीफ दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बम धमाका करने की साजिश रची थी. पुलिस ने धमाके की जगह से दो सिम कार्ड और एक मोबाइल फोन भी बरामद किया था.

मौके से मिले थे सिम और मोबाइल
धमाके के लिए एक बम एक बैग में रखा गया था. लेकिन वह नहीं फटा था. मौके से बरामद किए गए सिम कार्ड झारखंड और पश्चिम बंगाल से खरीदे गए थे. जिनकी सीडीआर भी जांच एजेंसियों ने निकालवाई थी.

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