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गोमांस पर बैन की मांग करने वाले सूफी को झटका, भाई ने दरगाह के दीवान पद से हटाने का किया ऐलान

अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन के बयान ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सूफी जैनुल के भाई अलाउद्दीन आलिमी ने उन्हें दरगाह के दीवान पद से हटाने का ऐलान किया है.

अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन
शरत कुमार
  • अजमेर,
  • 05 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन के बयान ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सूफी जैनुल के भाई अलाउद्दीन आलिमी ने उन्हें दरगाह के दीवान पद से हटाने का ऐलान किया है. अलाउद्दीन ने खुद को हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह का दीवान घोषित कर दिया. अलाउद्दीन ने सूफी जैनुल आबेदीन के बीफ पर दिए बयान के एक दिन बाद ये ऐलान किया. सूफी जैनुल ने ट्रिपल तलाक को भी इस्लाम विरोधी करार दिया था.

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सूफी जैनुल ने की बीफ पर बैन की मांग
अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन ने गोहत्या पर प्रतिबंध की मांग की थी. सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा था- इससे दो समुदायों के बीच नफरत पनप रही है. ऐसे में देश में शांति के लिए सरकार इस पर पूरे तरीके से बैन लगाए. उन्होंने मुसलमानों से भी गोमांस न खाने की अपील थी.

'नहीं खाऊंगा बीफ'
दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन ने एक बड़ा ऐलान किया था. उन्होंने खुद गोमांस का सेवन न करने की घोषणा की. उन्होंने कहा था- मैं और मेरा परिवार गोमांस का सेवन त्यागने की घोषणा करता हूं.

दरगाह में 805वां सालाना उर्स चल रहा है. इस दौरान दरगाह के दीवान सैयद जैनुल ने गोहत्या पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि गोमांस से दो समुदायों के बीच दूरियां आई हैं. भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को झटका लगा है. ऐसे में जरूरी है कि मुसलमान इस इख्तलाफ को खत्म करने की पहल करें और गोमांस खाना बिल्कुल कर दें. साथ ही सरकार भी गोहत्या और उसके मांस की बिक्री पर पूरे तरीके से प्रतिबंध लगाए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी तरह का जानवर नहीं काटा जाना चाहिए.

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गाय बने राष्ट्रीय पशु
सैयद जैनुल ने कहा था गाय सिर्फ एक जानवर नहीं है बल्कि हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. गाय और उसके वंश को बचाना चाहिए. साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.

तीन तलाक इस्लाम के खिलाफ
सैयद जैनुल ने तीन तलाक के तरीके को भी इस्लाम विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को सम्मान दिया गया है. ऐसे में शरियत का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और तीन तलाक के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न नहीं करना चाहिए.

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