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नोटबंदी की सालगिरह पर फिर बंटा यादव परिवार, अखिलेश ने नकारा अपर्णा ने सराहा

एक तरफ अखिलेश यादव खजांची नाथ का जन्मदिन मनाकर अपने तरीके से नोटबंदी का विरोध दर्ज करा रहे हैं तो दूसरी ओर अपर्णा यादव जो उनके छोटे भाई की पत्नी हैं और परिवार की दूसरी बहू हैं. उन्होंने नोटबंदी के 1 साल पूरे होने पर नोटबंदी के समर्थन में ट्वीट किया है

अखिलेश यादव-अपर्णा यादव अखिलेश यादव-अपर्णा यादव
कुमार अभिषेक/कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • लखनऊ,
  • 09 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

बुधवार 8 नवंबर को नोटबंदी ने अपना एक साल पूरा किया तो इसी दिन कानपुर देहात का खजांची नाथ 11 महीने 6 दिन का हो गया. नोटबंदी के धुरविरोधी अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा नोटबंदी का जश्न नहीं, मैं खजांची नाथ का बर्थडे मनाऊंगा. आपको बता दें कि यह वही खजांची नाथ है जिसकी मां ने नोटबंदी के दौरान बैंक की कतार में घंटों खड़े रहने के बाद इस बच्चे को जन्म दिया था और बैंक वालों ने इसका नाम खजांची रख दिया था. अखिलेश यादव ने इस खजांची नाथ की मां को बतौर मुख्यमंत्री दो लाख रुपए का चेक दिया था जो आज भी इसका सहारा है.

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एक तरफ अखिलेश यादव खजांची नाथ का जन्मदिन मनाकर अपने तरीके से नोटबंदी का विरोध दर्ज करा रहे हैं तो दूसरी ओर अपर्णा यादव जो उनके छोटे भाई की पत्नी हैं और परिवार की दूसरी बहू हैं. उन्होंने नोटबंदी के 1 साल पूरे होने पर नोटबंदी के समर्थन में ट्वीट किया है अपर्णा यादव ने #DeMoWins ट्वीट किया है.

2 दिसंबर को जिस दिन खजांची नाथ 1 साल का होगा अखिलेश यादव उसका जन्मदिन मनाएंगे. कानपुर देहात के झींझट कस्बे के आनंदपुर गांव में खजांची नाथ की मां सर्वेसा देवी 5 बच्चों के साथ आज भी झोपड़ी में रहती हैं. अब अखिलेश ने 2 दिसंबर को उसका जन्मदिन मनाने का फैसला किया है. साफ है अखिलेश यादव इसी बहाने लोगों को नोटबंदी के दोनों के तकलीफ को याद दिलाना चाहते हैं. इससे पहले अखिलेश ने नोटबंदी के एक साल पर उसकी बरसी लिखकर इसे मौत का प्रतीक करार दिया था.

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नोटबंदी पर अखिलेश यादव और अपर्णा यादव का ट्वीट यादव परिवार के घमासान को उजागर करने के लिए काफी था. अपर्णा ने ट्वीट कर लिखा नोटबंदी सही या गलत है नहीं कह सकते, क्योंकि इतने कम समय में इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता है.

साफ है कि अखिलेश और उनकी पार्टी इस मुद्दे पर अपने राय पर कायम है लेकिन परिवार में घमासान छिड़ा अभी भी छिड़ा हुआ है और वो हर मौके-बेमौके सामने आ ही जाता है.

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