
उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत के नतीजे आने के साथ ही इस बात के कयास लगने लगे थे कि जीत का शुक्रिया अदा करने अखिलेश यादव मायावती के पास जरूर जाएंगे और हुआ भी वही. अखिलेश यादव शाम 7:25 पर अपने काफिले के साथ मायावती के घर पहुंचे, इस मुलाकात में अखिलेश यादव के साथ राज्यसभा सांसद संजय सेठ भी मौजूद थे.
क्योंकि मायावती के समर्थन से अखिलेश यादव को यह जीत नसीब हुई थी इसलिए अखिलेश यादव ने सबसे पहला शुक्रिया मायावती का अदा किया और इसके बाद उन्होंने दूसरी पार्टियों को भी धन्यवाद दिया. अखिलेश और मायावती की ये मुलाकात करीब 1 घंटे 5 मिनट तक चली. सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात में दोनों की केमिस्ट्री बेहद ही सहज थी. औपचारिक अभिवादन के बाद इन दोनों के बीच ही ज्यादातर बातें हुईं.
2019 में गठबंधन के साथ-साथ सीटों पर भी हुई चर्चा
अखिलेश यादव ने सबसे पहले इस जीत के लिए मायावती का शुक्रिया अदा करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया. इसके बाद आगे की रणनीति पर भी उनकी चर्चा हुई. दोनों के बीच इस गठबंधन को आगे बढ़ाने और 2019 में गठबंधन के साथ-साथ सीटों पर भी सहमति बनाने पर चर्चा हुई.
मुलाकात के वक्त उस कमरे में अखिलेश यादव और मायावती के अलावा अखिलेश के साथ संजय सेठ और मायावती के साथ सतीश चंद्र मिश्रा मौजूद थे. मुलाकात के वक्त इन दोनों ने वर्ष 1993 में मुलायम और कांशीराम के बीच हुई मुलाकात को भी याद किया और उसी परिपेक्ष में आज की जीत की भी चर्चा की.
समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में इन दोनों के बीच यह दूसरी मुलाकात है. कुछ महीने पहले अखिलेश और मायावती के बीच एक मुलाकात दिल्ली में भी हो चुकी है.
उपचुनाव के रिजल्ट आते ही मायावती से मुलाकात के पहले अखिलेश यादव ने अपने विधायकों के साथ पार्टी दफ्तर में एक बैठक की थी जिसमें राज्यसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई थी.
राज्यसभा चुनाव की रणनीति पर हुई चर्चा
मायावती का शुक्रिया अदा करने पहुंचे अखिलेश यादव ने अपनी मुलाकात में राज्यसभा चुनाव पर चर्चा की. क्योंकि बीजेपी, बीएसपी और समाजवादी पार्टी दोनों का खेल बिगाड़ने की कोशिश में है. बीजेपी ने राज्यसभा के लिए नौवां कैंडिडेट उतार दिया है ऐसे में सीधा खतरा मायावती के उम्मीदवार को होगा.
इन दोनों ने सबसे पहले राज्यसभा को लेकर अपनी रणनीति तय की है कि किसी भी सूरत में बीजेपी के गेम प्लान को रोका जाए, क्योंकि नरेश अग्रवाल और राजा भैया का खेमा बीजेपी उम्मीदवार को जिताने के लिए जुट गया है. अब समाजवादी पार्टी की इस जीत के बाद उसके विधायकों को तोड़ना बीजेपी के लिए भी आसान नहीं होगा.
रिजल्ट आने के तुरंत बाद अखिलेश यादव ने सबसे पहले नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी को मायावती के पास भेजा था, मायावती ने गाड़ी रोककर रामगोविंद चौधरी से मुलाकात की और रामगोविंद चौधरी ने अखिलेश यादव का संदेशा मायावती तक पहुंचाया.
बहरहाल इस मुलाकात के बड़े मायने हैं क्योंकि 25 साल बाद बसपा और सपा के शीर्ष नेतृत्व की मुलाकात हो रही है. 1993 में जब मुलायम सिंह यादव और कांशीराम मिले थे तो बीजेपी की हार हुई थी और 2018 की मुलाकात 2019 के चुनावी इबारत को लिख सकती है.