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उपचुनाव में जीत से अखिलेश से बदले सुर, BJP को हम ही रोक सकते, कांग्रेस का फिर क्या?

अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के एक साल पूरा होने पर आरोप लगाया कि इस सरकार ने एक साल के कार्यकाल में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस दल का मुख्य चरित्र लोगों को मुद्दों से भटकाना है और इस पार्टी को सत्ता में आने से रोकने का काम क्षेत्रीय ताकतें ही कर सकती हैं.

अखिलेश यादव अखिलेश यादव
भारत सिंह
  • लखनऊ,
  • 18 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:55 PM IST

उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी को हराने वाली समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लगता है कि बीजेपी को हराने का काम क्षेत्रीय पार्टियां ही कर सकती हैं. अखिलेश का इशारा साफ तौर पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सफल फॉर्मूले की ओर है.

अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के एक साल पूरा होने पर आरोप लगाया कि इस सरकार ने एक साल के कार्यकाल में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस दल का मुख्य चरित्र लोगों को मुद्दों से भटकाना है और इस पार्टी को सत्ता में आने से रोकने का काम क्षेत्रीय ताकतें ही कर सकती हैं.

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सपा-बसपा ने छीनी थी जीत

उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों पहले ही गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आए थे. यहां बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी के विरोध में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था और अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे. उत्तर प्रदेश में गोरखपुर की लोकसभा सीट योगी आदित्यनाथ के प्रदेश के सीएम और फूलपुर सीट केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद खाली हुई थी. ये दोनों सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गईं. हालांकि, यूपी विधानसभा चनावों में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने वाली कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी भी खड़े किए थे, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी.

कांग्रेस के बरक्स अखिलेश का जुटान?

दूसरी ओर, यूपी की इन दो सीटों पर नतीजे आने से ठीक पहले यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 20 विपक्षी दलों के नेताओं को अपने घर पर एक डिनर में बुलाया था. इनमें एनडीए छोड़कर आने वाली पार्टियों के नेता भी शामिल थे. इस डिनर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के लगभग सभी बड़े नेता भी पहुंचे थे. इस डिनर के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी. कांग्रेस पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुटी है. हालांकि, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बयान से लगता है कि वह कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के नेतृत्व में एकजुट हो रहे विपक्ष के बजाय क्षेत्रीय दलों की कोशिशों को ज्यादा महत्वपूर्ण बता रहे हैं. या वह उत्तर प्रदेश के उपचुनावों के नतीजों से यह जाहिर करना चाह रहे हैं कि बीजेपी को हराने के लिए राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रीय दलों से उनकी शर्त पर गठबंधन करना होगा.

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कह चुके हैं, कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं

यूपी विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ लड़ने के बाद नाकामयाबी हाथ लगने पर अखिलेश यादव ने संकेत दिए थे कि वह 2019 के लिए कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएंगे. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने का कोई फायदा नहीं दिखा, इसलिए 2019 में गठबंधन नहीं होगा. उन्होंने यूपी विधानसभा चुनावों के बाद पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा था कि चूंकि 2019 के लिए कोई गठबंधन नहीं हो रहा है, इसलिए सीटों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा था कि फिलहाल उनका लक्ष्य पार्टी को मजबूत करना है. आपको बता दें कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव से झगड़े के बाद अखिलेश ने कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया था.

जीत के बाद बदली है भाषा

हालांकि, दो उपचुनावों में जीत के बाद अखिलेश की भाषा भी बदली है. उन्होंने कहा है कि राजनीति में रास्ते बदलने पड़ते हैं. अखिलेश ने यह भी कहा है कि कांग्रेस के साथ उनके अच्छे संबंध जारी रहेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें उपचुनावों में जीत की बधाई दी. हालांकि, अखिलेश ने फिर से कहा कि 2019 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात करना जल्दबाजी होगी. उन्होंने इन चुनावों में जीत के लिए सबसे पहले बसपा प्रमुख मायावती को धन्यवाद दिया था और कहा कि देश को बचाने के लिए वह साथ आई हैं. मायावती के साथ हाथ मिलाने पर गठबंधन का नेता बनने के सवाल पर अखिलेश ने यह भी कहा था कि आगे भी देश को बचाने के लिए वह तैयार हैं और अगर उन्हें त्याग करना पड़ा तो वह इससे भी पीछे नहीं हटेंगे. इस बात की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका तलाशने के लिए अखिलेश राज्य में त्याग करने को तैयार हों. हालांकि, उनका ऐसा करने की उम्मीद काफी कम है.

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दो-दो बार उद्घाटन कर रही सरकार

अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमले किए और कहा कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने एक साल का कार्यकाल सिर्फ पिछली सरकार की योजनाओं से 'समाजवादी' शब्द हटाने और 'उद्घाटन का दोबारा उद्घाटन' करने में ही बिता दिया है.

वादों के नाम पर दिया धोखा

उन्होंने कहा कि बीजेपी ने धर्म और त्योहार के नाम पर समाज को बांटा है. उसने अपने चुनाव घोषणापत्र में जनता से तमाम वादे किए लेकिन बाद में उसे धोखा दिया. बीजेपी का चरित्र मुद्दों को भटकाने का रहा है. बीजेपी को रोकने का काम क्षेत्रीय ताकतें ही कर सकती हैं.

सारी जनहितकारी सेवाएं हो गईं बर्बाद

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के शासन में किसान, गरीब, व्यापारी, नौजवान, महिलाएं सभी परेशान हैं. बीजेपी सरकार संवेदनहीन है. इस सरकार ने 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई 1090 सेवा और अपराध नियंत्रण के लिए यूपी डायल 100 सेवा को बर्बाद कर दिया है.

उपचुनावों में दिखा जनता का मोहभंग

सपा अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार के चार साल और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की एक साल की सरकार से जनता का मोहभंग हो गया है. इसका असर गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनावों के नतीजों में दिखाई दिया है. जनता बीजेपी को नकार रही है. इसका पूरा नतीजा 2019 में सामने आ जाएगा.

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