
पिछले 9 महीने से मुलायम कुनबे में चल रही कलह अब खत्म हो सकती है. अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच वर्चस्व की जंग ने बाप-बेटे के बीच भी दूरियां पैदा कर दी थीं. लेकिन अब रिश्तों पर जमी यह बर्फ पिघलने लगी है.
शनिवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे. अखिलेश-मुलायम के बीच लंबी बातचीत चली. सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश और मुलायम के बीच शिवपाल यादव को लेकर चर्चा हुई.
मुलायम सिंह यादव के नई पार्टी बनाने से इनकार करने के बाद अखिलेश ने उनसे मुलाकात करके राष्ट्रीय अधिवेशन में आने का निमंत्रण दिया था. राष्ट्रीय अधिवेशन से एक दिन पहले शिवपाल ने अखिलेश को फोन करके नए अध्यक्ष बनने की अग्रिम बधाई दी, तो अखिलेश ने भी कहा कि चाचा का हमेशा से उन पर आशीर्वाद रहा है.
हालांकि, आगरा के तारघर मैदान में हुए सम्मेलन में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर 5 वर्ष के लिए अखिलेश यादव की ताजपोशी के दौरान मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव मौजूद नहीं थे. अखिलेश ने कहा था कि नेताजी ने फोन पर ही उन्हें आशीर्वाद दे दिया था.
सपा सूत्रों की माने तो पिछले लंबे समय से अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच बातचीत बंद थी, शिवपाल यादव ने मुलायम के कहने पर सुलह की पहल की थी. अधिवेशन से पहले घंटों चली पिता- पुत्र की मुलाकात के बाद से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि कुनबे में जल्द सुलह हो सकती है.
बता दें कि चाचा-भतीजे के बीच इस साल जनवरी में विवाद इतना बढ़ गया था, कि अखिलेश यादव ने पार्टी में बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था और अपने पिता मुलायम सिंह यादव को हटाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे. अखिलेश को जहां रामगोपाल यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ मिला तो शिवपाल को मुलायम का.
यादव कुनबे में विवावों की वजह से यूपी में अखिलेश को हार का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने झुकने का नाम नहीं लिया. जबकि शिवपाल लगातार कहते रहे कि पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को दी जाए. लेकिन अखिलेश ने एक नहीं मानी. इसके बाद शिवपाल ने नई पार्टी बनाने की बात कहना शुरू किया.
पिछले दिनों नई पार्टी का ऐलान भी होने वाला था, लेकिन मुलायम ने ऐन वक्त पर शिवपाल के अरमानों पर पानी फेर दिया और नई पार्टी बनाने से साफ मना कर दिया. इसके बाद शिवपाल पार्टी में पूरी तरह अलग थलग पड़ गए.