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'सर्कस के शेर' के जवाब में बोले अखिलेशः शेर कितना भी भूखा हो, शेर ही रहेगा

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने मैनपुरी में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के सरकारी दस्तावेजों में भीमराव अंबेडकर की जगह 'भीमराव रामजी आंबेडकर' किए जाने के बारे में कहा, 'अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संविधान की कुछ पंक्तियां पढ़ लें.'

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो) उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच लगातार नोंक-झोंक चलती रहती है. सपा-बसपा गठबंधन को लेकर 'सर्कस के शेर' संबंधी टिप्पणी करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जवाब देते हुए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि शेर चाहे कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने मैनपुरी में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के सरकारी दस्तावेजों में बाबा साहब का नाम भीमराव अंबेडकर की जगह 'भीमराव रामजी आंबेडकर' किए जाने के बारे में कहा, 'अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संविधान की कुछ पंक्तियां पढ़ लें.'

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संविधान पढ़ने की दी सलाह

उन्होंने कहा, 'अगर पढ़ लेंगे तो वह सदन में यह भी नहीं कहेंगे कि शेर भूखा है, वह दूसरे का खाना खाता है. शेर कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा. योगी अगर संविधान पढ़ लेंगे तो शायद सदन में समाजवाद को लेकर दिखने वाली उनकी नाराजगी नहीं दिखाई देगी.'

मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी ने बुधवार को विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान सपा-बसपा के गठजोड़ पर कटाक्ष करते हुए किसी का नाम लिए बगैर कहा था कि कुछ लोग आजकल 'सर्कस के शेर' हो गए हैं. 'सर्कस का शेर' शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिए दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है.

उन्होंने कहा था कि वह इसलिए गौरवान्वित होता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे कोई शिकार मिल गया है. 'सर्कस का शेर' बनने के बजाय खुद पर और अपने स्वाभिमान पर विश्वास करें तो बहुत अच्छी बात होगी.

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योगी ने समाजवाद को भी 'धोखा' और 'मृगतृष्णा' बताते हुए उसे फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ा था. इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश ने इस पर किए गए 'ट्वीट' में कहा था कि संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' शब्द संविधान की मूल भावना के रूप में दर्ज है. मुख्यमंत्री का समाजवाद को 'झूठा, समाप्त और धोखा' कहना संविधान की अवमानना का गंभीर मुद्दा है, इसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहि' और एक सच्चे योगी की तरह पद त्याग देना चाहिए.

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