Advertisement

भारतीयों को फंसाने के लिए अल कायदा लाया हिन्दी-बंगाली में जिहादी कंटेंट

आतंकी संगठन अलकायदा भारत के कई राज्यों में अपनी भर्ती करने के लिए प्रमुख जिहादियों के भाषणों और साहित्य का तमिल, बंगाली और हिंदी अनुवाद कर ऑनलाइन प्लेटफार्म पर पोस्ट करवा रहा है. पूरे देश से रंगरूटों को आकर्षित करने के लिए ऐसे अनुवादित कंटेंट का ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा रहा है.

अल कायदा अपने अभियान के तहत युवाओं को भर्ती के लिए लुभा रहा है अल कायदा अपने अभियान के तहत युवाओं को भर्ती के लिए लुभा रहा है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

आतंकी संगठन अलकायदा भारत के कई राज्यों में अपनी भर्ती करने के लिए प्रमुख जिहादियों के भाषणों और साहित्य का तमिल, बंगाली और हिंदी अनुवाद कर ऑनलाइन प्लेटफार्म पर पोस्ट करवा रहा है. पूरे देश से रंगरूटों को आकर्षित करने के लिए ऐसे अनुवादित कंटेंट का ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा रहा है.

दरअसल, अलकायदा अपने संगठित अभियान के तहत पूरे भारत में भर्ती करने के लिए इंटरनेट पर अनुवादित कंटेंट का इस्तेमाल कर रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अल-रिसालह और इन्स्पायर जैसी पत्रिकाओं में जिहादियों के नेतृत्व की विचारधारा के अंश दिखाई देते हैं.

Advertisement

संगठन का यह अभियान पूरे देश में भर्ती करने के लिए जिहादी आंदोलन के समर्थन की बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है. इससे पहले भारतीय मुजाहिदीन ने 2005 से भारत ने सबसे घातक शहरी आतंकवादी अभियान चलाया था. जिसका भारत को खामियाजा भुगतना पड़ा.

जिहादी अनुवाद सीधे शिक्षित स्वयंसेवकों को टारगेट करते नजर आते हैं. अल-रिसालह के अंक 3 में प्रकाशित एक तमिल लेख डॉक्टरों और इंजीनियरों पर फोकस करता नजर आता है.

लेख का एक अंश कहता है "मैं आपको पूछता हूं, डॉक्टर: क्या आप अपने देश में इस्लामोफोबिया के लिए दवा देने की बजाय उस बच्चे के पैर पर पट्टी बांधने का काम करेंगे, जो अलेप्पो में एक बम धमाके में अपने अंग खो चुका है."

लेख में आगे लिखा है, "हम अल्लाह के दुश्मनों पर खुद को देखे जाने के बहाने का इस्तेमाल करते हैं और हमारे पासपोर्ट पर ध्वज अंकित किया जा रहे हैं. क्या हमें अल्लाह पर भरोसा नहीं है?” क्या पैगंबर मुहम्मद साहब ने अविश्वासियों की आंखों के नीचे मक्का नहीं छोड़ा था और वे मदीना चले गए थे?"

Advertisement

अल रिसालह में प्रकाशित तमिल अनुवाद में एक वृद्ध व्यक्ति की एक कहानी भी है, जो एक आंख से अंधा होने के बावजूद लड़ता था.

इन लेखों में अल-कायदा के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के भाषण और संदेशों के अलावा और यूपी में जन्मे और कराची में प्रशिक्षण पाने वाले उपमहाद्वीप के डिप्टी सामी-उल-हक के भाषण बंगाली में उपलब्ध हैं. जिनमें सीरिया और सोमालिया में लड़ रहे जिहादियों से जुड़ी कहानियां और बातें शामिल हैं.

खासकर सामी-उल-हक के भाषणों को बड़ी संख्या में हिंदी में अनुवादित किया गया है. जिनमें खासकर उसका फोकस आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर नजर आता है.

इस्लामिक स्टेट से जुड़े 82 अभियुक्त में 55 मध्यम शैक्षणिक स्तर और निम्म मध्यम वर्ग से आते हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि अलकायदा अब कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में पहुंच बनाने की कोशिश कर है, वहां से गिरफ्तार किए गए लोगों के बाद इस बात की पुष्टि भी हुई है.

महाराष्ट्र से पकड़े गए लोगों की संख्या 16 है, जो सबसे ज्यादा है. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ऑनलाइन आने वाले कंटेंट का अनुवाद कौन कर रहा है. हालांकि अल-क़ायदा के दक्षिण एशियाई विंग के कई सदस्य यहां पकड़े जा चुके हैं.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement