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कांग्रेस मुख्यालय में दिखा अलग नजारा, इस प्रभारी के सभी हुए कायल

बुधवार की शाम कुछ ऐसा हुआ, जो शायद कांग्रेस मुख्यालय के पदाधिकारियों के अलावा कर्मचारियों, सुरक्षा गार्डों ने भी नहीं देखा था.

मिठाई बांटते आरपीएन सिंह मिठाई बांटते आरपीएन सिंह
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

कांग्रेस मुख्यालय में अरसे से मातम-सा ही माहौल नजर आता था. हाल ही में तमाम नई नियुक्तियां हुईं, लेकिन वह भी बस हो ही गईं. न ढोल, न ताशा, न नगाड़े, न मिठाइयां... हर बार नई नियुक्ति पर यह कहा गया कि, आहिस्ता-आहिस्ता टीम राहुल कांग्रेस में पैठ बना रही है. राहुल के करीबी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में जगह पा रहे हैं. लेकिन बुधवार की शाम कुछ ऐसा हुआ, जो शायद कांग्रेस मुख्यालय के पदाधिकारियों के अलावा कर्मचारियों, सुरक्षा गार्डों ने भी नहीं देखा था.

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क्या कोई सोच सकता है कि किसी को कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी मिली हो और वह खुद कई किलो मिठाई मंगाए, उसके बाद मिठाई का डब्बा अपने हाथ में लेकर पूरे कांग्रेस मुख्यालय में घूमे... कांग्रेस के पदाधिकारी से लेकर कर्मचारी और चपरासी के साथ-साथ सुरक्षा में तैनात प्राइवेट गॉर्ड, सभी भौंचक्के थे, क्योंकि कोई यह नहीं सोच सकता था कि जिसको कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव के बराबर का तमगा मिला हो, वह भला अपने हाथों मिठाई का डिब्बा लेकर सभी से मिठाई खाने की गुजारिश कर रहा है.

यह वह नजारा था जिसको शायद कांग्रेस में पहले किसी ने नहीं देखा था. कांग्रेस में ऐसा कब हुआ यह बताने वाला कोई नहीं था. हाल ही में कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर रहे प्रणव झा कहते हैं, 'क्या कभी ऐसा हुआ था कि कोई महासचिव स्तर का नेता अपने हाथों में मिठाई का डिब्बा लेकर पूरे कांग्रेस मुख्यालय में घूम रहा हो और पदाधिकारियों, कर्मचारियों के साथ ही चपरासियों के साथ सुरक्षाकर्मियों से भी गुजारिश कर रहा हो कि आपकी दुआ से राहुल-सोनिया ने जिम्मेदारी दी है, लीजिए मिठाई खाइए और भविष्य के लिए आशीर्वाद दीजिए.'

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यह सब करने वाले नेता हैं, यूपी की पडरौना रियासत के महाराजा कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह यानी आरपीएन सिंह. वह आरपीएन सिंह जो कभी यूपी युथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. जिन्हें कांग्रेस में आरपीएन सिंह, घर और दोस्तों में रिची और यूथ कांग्रेस में किस्मत भैया के नाम से जाना जाता है. आरपीएन सिंह महाराजा कहे जाते हैं, लेकिन सोनिया के कहने के बाद उन्होंने महाराजा और कुंवर टाइटल से दूरी बना ली. आखिर पडरौना का ये महाराजा जानता है कि, वक्त बदल चुका है लोकतंत्र के मौसम में महाराज वही है जो जनता को साथ लेकर चल सके. इसीलिए वह इस नए अंदाज में 24 अकबर रोड यानी कांग्रेस मुख्यालय में रंक को भी अपने हाथों से मिठाई खिलाते नजर आते हैं.

आरपीएन सिंह 2002 में कांग्रेस के सचिव बनाए गए थे, लेकिन उनका खुलकर बोलने का अंदाज उनके खिलाफ चला गया. वह कांग्रेस सगठन से बाहर कर दिए गए. साल 2004 में वह लोकसभा का चुनाव हार गए. इसके बाद 2009 में किस्मत पलटी, यूथ कांग्रेस के किस्मत भैया लोकसभा चुनाव जीते, यूपीए सरकार में मंत्री बने और बाद में तो देश के गृह राज्य मंत्री भी बने. पर 2014 की मोदी लहर में वह 2009 से ज्यादा वोट पाने के बावजूद चुनाव हार गए.

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वैसे दिलचस्प है कि राहुल और सोनिया के बाद वह उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा वोट पाने वाले कांग्रेस के नेता रहे. तकरीबन एक साल बाद कांग्रेस पार्टी ने उनको प्रवक्ता बना दिया और अब वह झारखंड के इंचार्ज के तौर पर कांग्रेस की सबसे बड़ी बॉडी कार्यसमिति के सदस्य भी बन गए हैं. वैसे आरपीएन सिंह हंसी-मजाक करने वाले और रिश्ते निभाने वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन गृह राज्यमंत्री रहते हुए पडरौना में उनके गुस्से का एक वाकया अभी भी YouTube में है. इस पर आरपीएन कहते हैं कि, इसमें उनकी गलती नहीं थी. विरोधियों ने साजिश के तहत उनको फंसाने की कोशिश की थी. उस वक्त विवाद बहुत हुआ पर बाद में आरपीएन विवादों से निकल गए.

वैसे आरपीएन जब 2002 में कांग्रेस के सचिव थे, तब भी वह झारखंड का प्रभार देख रहे थे. मधु कोड़ा का मुख्यमंत्रित्व काल हो या शिबू सोरेन का मामला, आरपीएन सिंह ने तब भी उसको कांग्रेस पार्टी के लिहाज से बखूबी हैंडल किया था. अब आरपीएन कहते हैं कि, राहुल गांधी ने उनको नई जिम्मेदारी दी है नए दौर में राहुल के कहे अनुसार वह नई इबारत देखेंगे.'

 

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