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तीन तलाक: सरकारी बिल के खिलाफ पर्सनल लॉ बोर्ड की आज आपात बैठक

तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार की ओर से पेश होने वाले बिल के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आपात बैठक करने जा रहा है. रविवार को लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की फुल बॉडी मीटिंग होगी.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 23 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:40 AM IST

तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार की ओर से पेश होने वाले बिल के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आपात बैठक करने जा रहा है. रविवार को लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की फुल बॉडी मीटिंग होगी.

दरअसल, 26 दिसंबर को मोदी सरकार संसद में तीन तलाक कानून को पेश करने जा रही है, जिसके मद्देनजर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह आपात बैठक बुलाई है.

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माना जा रहा है कि संसद में तीन तलाक पर बिल के पेश होने से पहले पर्सनल लॉ बोर्ड इसका पुरजोर तरीके से विरोध करेगा. सूत्रों के मुताबिक पर्सनल लॉ बोर्ड सभी दूसरे दलों से भी इसका विरोध करने की अपील कर सकता है.

रविवार को बुलाई गई बैठक करीब पांच घंटे चलेगी और दोपहर 3:00 बजे आधिकारिक तौर पर बैठक में लिए गए निर्णय को सार्वजनिक किया जाएगा.

यह बैठक लखनऊ के नदवा कॉलेज में बुलाई गई है, जिसमें वर्किंग कमेटी के 51 सदस्य शरीक होंगे. पर्सनल लॉ बोर्ड की यह बैठक रविवार 10 बजे से शुरू हो जाएगी. पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी सदस्यों को लखनऊ पहुंचने का फरमान जारी कर दिया गया है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपनी इस बैठक के जरिए सीधा संदेश सरकार तक पहुंचाना चाहता है कि वो ऐसे किसी भी तीन तलाक पर बिल का विरोध करेगा, जो उसकी सहमति के बगैर संसद में पेश किया जाएगा.

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तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार के बिल में ये हैं प्रावधान

-बिल के प्रारुप के मुताबिक एक वक्त में तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा.

-एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य होगा. ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा.

-ड्रॉफ्ट बिल के मुताबिक एक बार में तीन तलाक या 'तलाक ए बिद्दत' पर लागू होगा और यह पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने की शक्ति देगा.

-पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे.

-प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है.

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