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तीन तलाक कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि तलाक-ए-बिद्दत को अपराध बनाना असंवैधानिक है. बोर्ड पहले भी इस कानून के खिलाफ रहा है.
हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पहले अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राहत देते हुए तीन तलाक कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान
इससे पहले पिछले दिनों ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान किया था कि तीन तलाक को खत्म किए जाने के खिलाफ वह कानूनी लड़ाई लड़ेगा. दारुल उलूम नदवातुल उलमा में एक बैठक में यह फैसला किया गया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस कानून के खिलाफ याचिका दाखिल करेगा.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि तीन तलाक पर संसद से पास हुआ कानून शरीयत में हस्तक्षेप है और यह कानून संविधान और सुप्रीम कोर्ट दोनों के फैसले के खिलाफ है. इससे बच्चों और औरतों का लाभ भी प्रभावित होता है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कानून के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही थी.
बोर्ड ने की विपक्ष की आलोचना
इससे पहले जुलाई में जब तीन तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया था तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसका विरोध करते हुए विपक्षी पार्टियों के रवैये की कड़ी निंदा की थी.
मुस्लिम समाज में जारी तीन तलाक बिल पर रोक लगाए जाने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्वीट करते हुए कहा कि हम कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, एआईएडीएमके, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राजनीतिक एजेंडे को अपना समर्थन दिया और राज्यसभा में वोटिंग के समय वॉकआउट कर गए. उन्होंने अपना असली रंग दिखा दिया.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तब तीन तलाक बिल पास होने को भारतीय लोकतंत्र का काला दिन करार दिया. बोर्ड ने दावा किया कि निश्चित तौर पर भारतीय मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक बिल के खिलाफ हैं. मोदी सरकार की अगुवाई में दोनों सदनों में यह बिल पास करा दिया गया, लेकिन हम लाखों मुस्लिम महिलाओं की ओर से इसकी निंदा करते हैं.