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जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में प्रस्ताव पारित कर जेडीयू को एनडीए में शामिल होने का फैसला लिया गया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने का न्यौता दिया था. कार्यकारणी ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी. एनडीए में शामिल होने के बाद अब जेडीयू को केंद्र सरकार में जगह भी मिल सकती है. माना जा रहा है कि पार्टी से 2 मंत्री बन सकते है जिसमें नीतीश कुमार के खास आरसीपी सिंह और पूर्णियां के सांसद संतोष कुशवाहा का नाम सबसे आगे है.
एनडीए में जेडीयू की भागीगारी का इतिहास 4 साल और 2 महीने बाद दोहराया गया है. इससे पहले 17 सालों से नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए की हिस्सा रह चूकी थी. लेकिन जून 2013 में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने को लेकर नीतीश कुमार ने गठबंधन तोड़ दिया था. साल 2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयू ने अकेले लड़ा लेकिन सफल नही रहें. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन बना जिसमें जेडीयू के साथ आरजेडी और कांग्रेस भी शामिल थी. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और सीबीआई की FIR के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया क्योंकि तेजस्वी यादव ने जनता के सामने अपना पक्ष नहीं रख सके.
26 जुलाई को नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया और 27 जुलाई को बीजेपी के साथ फिर सरकार बनाई. राष्ट्रीय कार्यकारणी में महागठबंध से नाता तोड़ने के कारणों की व्याख्या की गई. साथ ही एनडीए के साथ जाने के फायदे भी गिनाए गए. राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्यों ने नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टोलरेंस नीति को सही ठहराते उनके फैसले पर अपनी सहमति जताई.
बैठक में शरद यादव पर कोई फैसला नहीं लिया गया. अगर शरद यादव लौट आते है तो ठीक है नहीं तो 27 अगस्त को होने वाली आरजेडी की रैली में अगर शरद हिस्सा लेते हैं तो पार्टी उनपर कठोर कार्रावाई करेगी. हालांकि शरद यादव ने भी जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और उनके तेवर से साफ है कि फिलहाल झुकने के लिए तैयार नहीं हैं.