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वैसे तो विश्वविद्यालय और अलग-अलग दफ्तरों में कैंटीन होते ही हैं लेकिन जामिया यूनिवर्सिटी की यह कैंटीन दूसरों से अलग है. जामिया मिलिया इस्लामिया में चलने वाली इस कैंटीन की बात ही जुदा है. इस कैंटीन का नाम दस्तारख्वान है और इसकी खासियत यह है कि इसे सिर्फ महिलाएं चलाती हैं.
इस कैंटीन का संचालन एकता सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) द्वारा किया जाता है.
स्टूडेंट्स के बीच है खासी चर्चित...
जामिया कैंपस के भीतर और आस-पास स्टूडेंट्स की भरमार है और यहां रहने वाले अधिकांश स्टूडेंट्स घर का खाना मिस करते हैं. यह कैंटीन इसी मिसिंग एलिमेंट को भरने का काम करती है. घर के खाने का स्वाद और वह भी किफायती दाम पर, कैंटीन की इसी खूबी की वजह से यहां जामिया के अलावा दूसरे कैंपस जैसे जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र भी पहुंचते हैं.
महिलाओं के लिए है सम्मान और कमाई का जरिया...
इस कैंटीन की शुरुआत 8 महिलाओं से हुई थी और आज यहां कुल 40 महिलाएं काम करती हैं. इस कैंटीन की मैनेजर शबाना कहती हैं कि यह कैंटीन विश्वविद्यालय के सेंट्रल कैंटीन से कहीं अधिक पॉपुलर हो ाही है. वे अब दिन भर में लगभग 55,000 रुपये तक कमा लेते हैं.
इस कैंटीन की बिरयानी, कबाब और परांठे के फैन दूर-दूर से चले आते हैं. साथ ही यहां सर्व किया जाना वाला फूड बहुत साफ-सुथरा होता है.