Advertisement

मीट की बंद दुकानों पर HC ने योगी सरकार से मांगा जवाब, कहा- नियंत्रण सही नहीं

लखनऊ बेंच ने कहा कि 31 मार्च तक जिन दुकानों को लाइसेंस नहीं मिले थे, उन्हें 1 हफ्ते में लाइसेंस देने पर हमारे गाइडलाइंस के मुताबिक विचार हो. सूबे में सभी ज़िला अधिकारी हर 2 किलोमीटर पर मीट की दुकानों को जगह मुहैया कराएं.

योगी सरकार आते ही कई मीट शॉप बंद हुईं योगी सरकार आते ही कई मीट शॉप बंद हुईं
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 05 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 12:34 AM IST

यूपी में बंद की गई मीट की दुकानों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 अप्रैल तक योगी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लाइसेंस देने के लिए अदालत के दिशा निर्देश पर विचार किया जाए.

लखनऊ बेंच ने कहा कि 31 मार्च तक जिन दुकानों को लाइसेंस नहीं मिले थे, उन्हें 1 हफ्ते में लाइसेंस देने पर हमारे गाइडलाइंस के मुताबिक विचार हो. सूबे में सभी ज़िला अधिकारी हर 2 किलोमीटर पर मीट की दुकानों को जगह मुहैया कराएं. कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा है कि भोजन की आदत एक मानवीय स्वभाव है जो आदमी-आदमी पर निर्भर करती है और इसे राज्य द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है.

Advertisement

पूरी तरह बैन संभव नहीं
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार अवैध बूचड़खानों को बंद करें, लेकिन पूरी तरह से मीट पर बैन नहीं लगाया जा सकता. संविधान में आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जिंदगी जीने और उनकी पसंद के खान-पान का अधिकार है. यह लोगों की आजीविका, खान-पान और रोजगार से जुड़ा मामला है, इसे पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता. लखीमपुर खेरी नगर परिषद के रहने वाले मीट व्यपारी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह बकरे के मीट का व्यापारी है और बार-बार अपील करने के बावजूद उसका लायसेंस रिन्यू नहीं किया जा रहा है. लाइसेंस रिन्यू नहीं होने से मीट व्यपारी पर जीविका गहरा संकट छा गया है.

हड़ताल पर गए थे मीट व्यापारी
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन से ही सभी अवैध तरीके से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मीट व्यापारी हड़ताल पर चले गए. सरकार पर आरोप लगे कि इस कदम का मकसद लोगों को मीट खाने से रोकना है, मीट व्यापारियों ने जब योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, उसके बाद यह हड़ताल खत्म हुई.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement