
PM नरेंद्र मोदी की गया रैली से बीजेपी और उसकी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के बीच जुबानी हमले का नया दौर शुरू हो गया है. लेकिन इस रैली में मोदी को सुनने के लिए करीब 2 लाख लोगों की भीड़ उमड़ना वाकई लाजवाब ही कहा जाएगा.
गया की 'परिवर्तन रैली' से पहले ही नक्सलियों ने इलाके में रैली वाले दिन बंद का ऐलान किया था. ऐसे में इस बात को लेकर सवाल उठने लगे थे कि क्या लोग नक्सलियों का डर छोड़कर मोदी का भाषण सुनने बड़ी तादाद में आ सकेंगे या रैली 'फ्लॉप' हो जाएगी. बीजेपी ने भी रैली होने से पहले ही नक्सलियों के बंद के पीछे 'सियासी वजह' बताने में देर नहीं लगाई.
अब बीजेपी को भी इस बात पर सुकून महसूस हो रहा होगा कि रैली को जनता का अच्छा-खास समर्थन मिल गया. अगर ऐसा नहीं होता, तो पार्टी के 'लोकल मैनेजमेंट' पर सवाल जरूर उठते.
गया रैली से ठीक पहले कई जगह PM मोदी के पोस्टर फटे नजर आए. बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने इसके लिए नीतीश सरकार और स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. इतना ही नहीं, गिरिराज ने तो रविवार सुबह को भी यह आरोप लगाया कि प्रशासन रैली में आने वाले लोगों को दूर ही रोक दे रहा है. ऐसे में अगर रैली में 2 लाख लोगों की भीड़ जुटती है, तो इसे 'संख्याबल' के लिहाज से बेहतर ही कहा जाएगा.
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि मुजफ्फरपुर और गया रैली की कामयाबी के बाद अब मोदी की बाकी दोनों रैलियों को पब्लिक का कितना सपोर्ट मिल पाता है.