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चुनाव आयोग के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी में दो लोगों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. पहले नंबर पर हैं मुलायम के खास अमर सिंह और दूसरे नंबर पर मुलायम के छोटे भाई शिवपाल यादव. अमर सिंह अब सपा से बाहर हैं तो शिवपाल ताजा हाल में मात्र एक सदस्य हैं. चुनाव आयोग के फैसले के बाद एक ओर जहां पिता-पुत्र के बीच सुलह की खबरें चल रही हैं वहीं अभी तक रामगोपाल और अखिलेश पर तंज कसते रहने वाले अमर सिंह के सुर अब मध्यम पड़ गए हैं.
चुनाव आयोग के फैसले के बाद अमर सिंह की पहली प्रतिक्रिया आ चुकी है. अमर सिंह ने कहा है कि जीत या हार से तय नहीं होता कि कौन सही और कौन गलत है. नेता जी उन्हें खलनायक नहीं मानते. एक तरफा प्यार में बहुत ताकत होती है, उसे कोई बांट नहीं सकता. अमर सिंह ने साफ किया कि परिवार में झगड़े की वजह वे नहीं हैं बल्कि कुछ और था अब सामने वाला चाहे उन्हें खलनायक कहे या शकुनि.
विवाद के दौरान लगातार मुलायम के साथ नजर आने वाले अमर सिंह अब कह रहे हैं कि चुनाव आयोग का फैसला आने से पहले उन्होंने साफ कर दिया था कि वे किसी की भी तरफ नहीं थे. वे पार्टी से बाहर किए जा चुके थे और वे उसे स्वीकार भी चुके थे. वे लंदन में थे.
बीजेपी में जाने के सवाल पर अमर सिंह ने कहा कि, मुझे जिस दिन बीजेपी में जाना होगा, मैं डंके की चोट पे कहूंगा और खुले आम जाऊंगा. आपको याद दिला दें कि केन्द्र सरकार ने हाल ही में अमर सिंह को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करवाई थी जिसके बाद उनके बीजेपी में जाने के कयास लगाए जा रहे थे.
अखिलेश इस बात से हैं नाराज
मुलायम सिंह यादव ने सितंबर 2016 में सपा का प्रदेश अध्यक्ष पद अखिलेश से लेकर शिवपाल यादव को दे दिया था. पारिवारिक विवाद की शुरुआत वहीं से हुई थी. इसके बाद अखिलेश ने शिवपाल से पीडब्ल्यूडी और सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए थे. बताया जाता है कि उस रात मुलायम सिंह के यहां टाइप राइटर खराब था जिस वजह से अखिलेश को हटाने की चिट्ठी टाइप नहीं हो पा रही थी. ऐसे में अमर सिंह ने अपने घर से टाइप राइटर मंगवा कर चिट्ठी जारी करवाई थी. अखिलेश को यह बात बहुत बुरी लगी वे रजत जयंती समारोह, विशेष अधिवेशन के अलावा कई मौकों पर इस बात का जिक्र भी कर चुके हैं.