Advertisement

'निंदा', 'बदला' तो ठीक लेकिन अमरनाथ हमले से उठे इन सवालों के जवाब क्या देगी सरकार?

सोमवार की शाम जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर एक आतंकी हमला हुआ जिसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 19 यात्री घायल हो गए. सभी राजनीतिक पार्टिओं ने हमले की कड़ी नींदा की है. दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक में हाई लेवल मीटिंग हो रही हैं जिसमें सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है. लेकिन इस हमले की वजह से कुछ ऐसे सवाल सामने आए हैं जिनका जवाब केंद्र की मोदी और राज्य की महबूबा मुफ्ती सरकार को देना चाहिए.

हमले के बाद सुरक्षा पर उठे सवाल हमले के बाद सुरक्षा पर उठे सवाल
विकास कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 6:20 PM IST

अमरनाथ यात्रा पर हमले की पूरे देश में निंदा हो रही है. सरकार से लेकर विपक्ष तक सभी इसकी निंदा कर रहे हैं. सरकार से लोग जवाबी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं लेकिन इस मामले ने कई सवाल भी खड़े किए हैं जो सुरक्षा में चूक, आतंकवाद के खिलाफ हमारी रणनीति आदि से जुड़ी हुई है. आखिर इनके जवाब कौन देगा?

Advertisement

सोमवार की शाम जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर एक आतंकी हमला हुआ जिसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 19 यात्री घायल हो गए. सभी राजनीतिक पार्टियों ने हमले की कड़ी निंदा की है. दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक में हाई लेवल मीटिंग हो रही हैं जिसमें सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है. लेकिन इस हमले की वजह से कुछ ऐसे सवाल सामने आए हैं जिनका जवाब केंद्र की मोदी और राज्य की महबूबा मुफ्ती सरकार को देना चाहिए.

सुरक्षा में चूक, किसकी जिम्मेदारी?

अमरनाथ यात्रियों पर हुए इस हमले की वजह से यात्रियों के सुरक्षा से जुड़े सवाल प्रमुख्ता से उठ रहे हैं. 29 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी. यात्रा शुरू होने के साथ ही खुफिया विभाग ने अलर्ट जारी किया था कि आतंकी यात्रियों को निशाना बना सकते हैं. इसके बाद सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिए गए थे. करीब 40 हज़ार सुरक्षाकर्मी यात्रियों की सुरक्षा में लगाए गए थे. दूसरे इंतज़ाम भी थे. फिर यह हमला कैसे हो गया? हमले के बाद केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, 'जो जानकारी उपलब्ध है, उसके मुताबिक बस श्राइन बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड नहीं थी. इसके अलावा, बस के साथ कोई सुरक्षा नहीं थी हालांकि, प्रशासन इस मामले की जांच कर रही है और फाइनल रिपोर्ट के आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.’

Advertisement

अब सवाल उठता है कि अगर यह इतनी संवेदनशील यात्रा है और इसको लेकर इतनी चाकचौबंद व्यवस्था की गई थी तो एक पूरी बस कैसे बिना रजिस्ट्रेशन के इलाके में घूम रही थी?

क्या सरकार की कश्मीर नीति फेल हो गई है?

केंद्र की मोदी सरकार है और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की सरकार है. पीएम मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह यह कहते रहे हैं कि उनकी सरकार कश्मीर में उसी लाइन पर आगे बढ़ेगी जिसपर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बढ़ रही थी. अपने भाषणों में पीएम मोदी कश्मीर और कश्मीरियत की बात भी करते रहे हैं लेकिन जानकार मानते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार के पास कोई ठोस कश्मीर नीति ही नहीं है. वो बस राज्य में अपनी सरकार चलाते रहना चाहते हैं और इसी वजह से घाटी में आतंकी हमलों और पत्थरबाजी जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं.

सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली सरकार घुसपैठ क्यों नहीं रोक पा रही?

उरी आर्मी बेस कैंप पर हुए हमले के बाद दावा किया गया था कि सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी कैंपों पर कार्रवाई की है. बीजेपी के पार्टी प्रवक्तावों ने टीवी चैनलों में इसे एक बड़ी कार्रवाई बताया और कहा कि इससे आतंकियों की कमर टूट गई. लेकिन सवाल उठता है कि जो सरकार सीमा पार जाकर कार्रवाई कर सकती है वो राज्य में हो रही घुसपैठ को क्यों नहीं रोक पा रही?

Advertisement

हुर्रियत को मिलने वाला विदेशी फंडिंग क्यों नहीं रोका जा रहा?

हुर्रियत को पाकिस्तान से फंडिंग मिलती है यह बात देश में हर कोई जानता है. पीएम मोदी खुद् कई रैलियों में इस बात को उठाते रहे हैं. वहीं इंडिया टूडे-आजतक की एक रिपोर्ट में भी यह बात सामने आ चुकी है कि कश्मीर को अशांत करने वाले हुर्रियत को पाक फंडिंग हो रही है. अगर इसी वजह से कश्मीर अशांत है तो केंद्र सरकार ऐसा कोई मजबूत इंतज़ाम क्यों नहीं कर रही जिससे हुर्रियत को मिलने वाले पैसे पर रोक लग सके.

घाटी में क्यों बढ़ रहे हैं हिंसा के मामले?

मार्च 2015 में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार आने के बाद से राज्य में 457 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें 48 आम लोग, 134 सुरक्षाकर्मी और 275 उग्रवादी हैं. इसके अलावा फिलहाल चल रहे नागरिक असंतोष में अब तक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और यह सिलसिला अभी जारी है.  श्रीनगर के पत्रकार और टिप्पणीकार शुजाअत बुखारी कहते हैं, 'इस बार हिंसा का स्तर 2016 से थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन कश्मीरी युवाओं में अलगाव का एहसास मुकम्मल हो चुका है.' घाटी में आज तक भड़के हर विरोध का इस्तेमाल करने वाले हुर्रियत के अलगाववादियों के बारे में वे कहते हैं कि 'अब उनका असर नहीं रहा. ऐसा लगता है कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा.’

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement