
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात करने से पहले ही उत्तर कोरिया का शासक किम जोंग उन अमेरिका से चिढ़ गया है. और नाराज़ होकर उसने 12 जून को सिंगापुर में होने वाली मुलाकात रद्द करने की धमकी भी दी है. लेकिन सवाल ये है कि आख़िर क्यों बिदक गया किम जोंग उन? क्यों दिखाए उसने पुराने तेवर? तो वजह ये है कि एक तरफ तो अमेरिका किम पर दबाव बना रहा है कि वो अपने परमाणु कार्यक्रम बंद कर दे और दूसरी तरफ वो दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर मिलिट्री ड्रिल भी कर रहा है. ऐसे में किम को गुस्सा तो आना ही था.
'मैक्स थंडर' से गुस्साया किम जोंग उन!
एक तरफ तो अमेरिका कोरियाई पेनिनसुला में शांति के लिए किम जोंग उन से ये उम्मीद करता है कि वो अपनी न्यूक्लियर साइट को नष्ट कर दे. वहीं दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर ट्रंप की सेना मिलिट्री ड्रिल कर रही है. मैक्स थंडर नाम से इस ज्वाइंट ड्रिल में सौ से ज़्यादा एयरप्लेन इस्तेमाल हुए. जिसमें अमेरिका और दक्षिण कोरिया के दर्जनों फाइटर प्लेन, बॉम्बर और ट्रांस्पोर्ट एयरक्राफ्ट ने अपना जौहर दिखाया. मगर अमेरिका के इस जौहर ने उत्तर कोरिया के मार्शल किम जोंग उन को तेवर में ला दिया है.
मार्शल ने दी मीटिंग कैंसिल करने की धमकी!
तो क्या फिर से टूट जाएगा सालों बाद हुआ याराना. या फिर बंद हो जाएगी कोरियाई पेनिनसुला में अमन की कोशिश. और फिर से उत्तर कोरिया और दक्षिण बन जाएंगे दुश्मन. ये वो सवाल हैं जो फिर से उठने लगे हैं. क्योंकि अगर किम और ट्रंप की 12 जून को होने वाली मीटिंग कैंसिल होती है, तो फिर से जंगी हालात बन जाएंगे जो शायद दुनिया के लिए अच्छी खबर नहीं होगी.
अमेरिका से नाराज़ हुआ उत्तर कोरिया!
सवाल ये है कि अब तक अपनी कूटनीति से सबको हैरान कर देने वाले और अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिए तैयार बैठे किम जोंग उन को अचानक गुस्सा क्यों आ गया. तो सुनिए किम के गुस्से की पहली वजह है वो मिलिट्री ड्रिल जो कोरियाई पेनिनसुला में अमेरिका दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर कर रहा है. जबकि दूसरी तरफ वो किम से ये उम्मीद कर रहा है कि वो प्रायद्वीप में शांति की पहल करे. अमेरिका की इस दोहरी रणनीति पर किम का गुस्सा जायज़ है. वहीं इस गुस्से की दूसरी वजह ये है कि ट्रंप के साथ मीटिंग से पहले अमेरिका की बढ़ती मांगों से उत्तर कोरिया परेशान हो गया है.
मिलिट्री ड्रिल से नाराज है किम
अगर ये मीटिंग टली तो दुनिया से एक बड़े युद्ध का जो खतरा मिटता नजर आ रहा था. वो फिर से मंडराने लगेगा. और एक बार फिर सबकुछ वैसा ही नजर आने लगेगा जैसा उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की मुलाकात से पहले था. अमेरिका और दक्षिण कोरिया की मिलिट्री ड्रिल से किम इस कदर तैश में आ गए हैं कि उन्होंने दक्षिण कोरिया के साथ 16 मई को होने वाली बातचीत भी रद्द कर दी. ऐसा लग रहा है कि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच पनपी दोस्ती एक बार फिर से दुश्मनी का चोला ओढ़ सकती है.
रद्द हो सकती है किम और ट्रंप की मुलाकात
जिस अमेरिका के कहने पर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग ने परमाणु परीक्षण न करने का वादा किया वो वादा टूट सकता है. इतना ही नहीं ट्रंप और किम जोंग उन के बीच बहुप्रतीक्षित 12 जून को सिंगापुर में होने वाली मुलाकात भी रद्द हो सकती है. दरअसल किम के गुस्से की एक वजह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन का वो बयान भी है जिसमें उन्होंने उत्तर कोरिया के लिए लीबिया मॉडल का जिक्र किया है.
किम के मंत्री ने दिया ये बयान
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने उप विदेश मंत्री किम के-ग्वान का बयान जारी किया है. बयान में ग्वान ने कहा कि अगर अमेरिका हमें दरकिनार कर सिर्फ़ एकतरफा ये मांग करता है कि हम अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद कर दें तो हम इस तरह की बातचीत के पक्ष में नहीं हैं. साथ ही अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच होने वाली आगामी बैठक पर भी हम विचार करेंगे.
लीबिया मॉडल से तुलना करने पर भड़का गुस्सा
जॉन बोल्टन ने जिस लीबिया मॉडल का जिक्र किया है उसके तहत लीबिया के पूर्व शासक कर्नल गद्दाफी ने परमाणु निशस्त्रीकरण किया था. लेकिन लीबिया के परमाणु हथियारों के नष्ट होने के 1 साल बाद ही गद्दाफी की हत्या कर दी गई थी. हत्या को नाटो समर्थित लीबिया के विद्रोहियों ने अंजाम दिया था. ऐसे में जब उत्तर कोरिया के लिए लीबिया मॉडल का जिक्र हुआ तो किम जोंग उन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
गर्मजोशी हो गई रफूचक्कर
उत्तर कोरिया के इस रुख से अभी 3 दिन पहले तक अमेरिका और दक्षिण कोरिया से उसकी जो गर्मजोशी थी वो रफूचक्कर हो गई है. हालांकि अमेरिका ने अभी ट्रंप और किम की मुलाकात की संभावना को खारिज नहीं किया है. उत्तर कोरिया का ये तेवर बता रहा है कि अगर 12 जून को किम जोंग उन और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई भी तो सब कुछ अमेरिका की स्क्रिप्ट के मुताबिक नहीं होगा.